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________________ अग्रेजी-अध्ययन अपने पास रखना पसद करेगे या नहीं। एक बार उन्होने मेरी प्रार्थना पर हिन्दी मे बच्चो का एक गीत बनाया था। उत्तरी भारत में यात्रा करते समय मैने इसको अनेक बार दुहराया है और जब कभी मेने इसे पढा है, लोगो को हंसी आये बिना नही रही। ये पक्तियाँ लिखी किस प्रकार गई, यह भी सुन लीजिये। मेरी बडी बहन मिस ऐडिथ० ऐम० जोन्स ने मुझसे कहा कि अग्रेजी मे जैसे बच्चो के गीत है, वैसे ही हिन्दी मे भी कुछ गीतो की जरूरत है। मैने अपने पडित (सत्यनारायणजी) से कहा कि आप कोशिश करके बनाइये और मैने उन्हे कई अंग्रेजी गीतो का भावार्थ हिन्दी मे बतला भी दिया। तभी उन्होने साथ की ये हिन्दी पक्तियाँ बनाई, और जब बन गईं तो बडे खुश हुए। मेरी सम्मति मे उन्हे इन पक्तियो के बनाने मे अच्छी सफलता मिली। मेरे ढाका चले आने के पूर्व वे मेरे पास बीस पक्तियो का एक अभिनन्दन-पत्र लाये। उसे देखकर मुझे साश्चर्य प्रसन्नता हुई।" बच्चो के जिस गीत का जिक्र मिस्टर जोन्स ने किया है, वह निम्नलिखित है-- सुन सुन रे ए रे हलवाई, भूख लगी है मुझको भाई । पूरी बेलो जल्दी-जल्दी, पीसो अभी मसाला हल्दी । होवे ज्योही गरम कढाई, उसमे दो पूरी छुडवाई। घी देखो छन-छुन करता है, ऑच लगी उबला पड़ता है। पूरी मती जलाये डालो, कलछी से अब इसे निकालो। यह मेरा है भूखा भाई, तूने अच्छी देर लगाई। सत्यनारायणजी ने उन्ही दिनों इस प्रकार के और भी कई पद्य बनाये थे जो परिशिष्ट मे दिये गये है। रैवरैण्ड जोन्स को सत्यनारायणजी ने जो अभिनन्दन पत्र दिया था, वह इस प्रकार है
SR No.010584
Book TitleKaviratna Satyanarayanji ki Jivni
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBanarsidas Chaturvedi
PublisherHindi Sahitya Sammelan Prayag
Publication Year1883
Total Pages251
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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