SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 53
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ विद्यार्थी - जीवन १३ है कि शिष्य की मृत्यु के अनन्तर शिक्षक को उसके विषय मे लेख लिखना पडे | अपने एक स्वर्गीय शिष्य के विषय मे अधिक क्या लिखूँ, कुछ समझ मे नही आता सत्यनरायन नाम कवि, सत्य नरायन काम । सत्यनरायन हू गये, सत्यनरायन धाम || सत्यनरायन यश लह्यो, लहि साहित्य विचार । जिनकी कविता के पढ़े, मिटिहै मलिन विकार ॥ जिस समय सत्यनारायण मिढाखुर मे पढते थे उस समय की उनकी एक नोटबुक सौभाग्यवश हमे मिल गई है । इतिहास, भूगोल इत्यादि विषयो को याद करने के लिए उन्होने इस नोटबुक मे कितनी ही तुकबन्दियाँ लिख रक्खी थी । गवर्नर जनरल तथा वाइसरायो के नाम याद करने के लिए यह पद्य लिखा गया था - कम्पनी सुविज्ञ ने प्रथम ही प्रबंध हेतु, वार्न हेस्टिङ्ग गवर्नर जनरल बनाये है । सरजान मेकफर्सन चन्दरीजा राखि मासि आफ कार्नवालिस हिन्द मे पठाये है | सरजान शोर को बनायो लार्ड टैनमौथ, एलूरेड क्लार्क चन्द रोज़ ही टिकाये है | लार्ड मार्निङ्गटन हिन्द को बढायो राज, याही काज मारकिस बिलिजली कहाये हैं | भूगोल भी सुनिये । इर्कटस्क रूस की अरु चीन की पेकिन जान, इत्यादि । तिब्बत की राजधानी लासा पहचानिये ।
SR No.010584
Book TitleKaviratna Satyanarayanji ki Jivni
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBanarsidas Chaturvedi
PublisherHindi Sahitya Sammelan Prayag
Publication Year1883
Total Pages251
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy