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________________ विद्यार्थी-जीवन शाही जमाने के अच्छे-अच्छे पेड कटवाकर दन घास-फूस आदि के लगाने से क्या लाभ है ? जिन्होने यह रौजा बनाया था, क्या वे यह जानते होगे कि किसी दिन इस पर अन्य मतावलम्बियो का अधिकार हो जावेगा? अंगरेज मुसलमान बादशाहो की तरह अच्छी-अच्छी इमारत क्यो नही बनाते है ? क्या योरप में भी किसी ईसाई मतावलम्बी राजा ने अपनी बीवी या माता की यादगार मे ऐसा मकान बनवाया है ? उन दिनो ताजगज मे खत्री तन्नसिह नामक एक अच्छे कवि रहते थे। शहर आगरे के बहुत-से कविता-प्रेमी उन्हे अपना गुरू मानते थे। सत्यनारायण भी उनके यहा जाया करते थे। सम्भवत सत्यनारायण ने तन्नूसिंहजी से कविता करना सीखा । सत्यनारायण हिदी के साथ इगलिश भी पढते थे। उन दिनो स्कूल में जिला एटे के एक नायबमुरिस थे जो अॅगरेजी मिडिल फेल थे। उन्हे २ या ३ स्पये मासिक सत्यनारायण की माँ देती थी। सत्यनारायण वडी योग्यता के साथ हमारे ताजगज स्कुल से पास हुए थे और उन्हे अन्य विद्यार्थियो की अपेक्षा बड़ा इनाम मिला था। ताजगज से सत्यनारायणजी मिढाखुर के टाउन स्कूल में पढने गये। सत्यनारायण के सहपाठी श्रीयुत दरबारी लाल वर्मा अध्यापक, अकोला लिखते है :-- __"प्रारम्भ मे मुंशी हरनारायणजी (वर्तमान अध्यापक फतहपुर) और मै छात्रवृत्ति-परीक्षा में उत्तीर्ण होकर मदर्सा कागारौल से, सत्यनारायणजी तथा प० चिरजीलाल (अध्यापक वजीरपुरा, आगरा) मदर्सा ताजगज से, पं० मूलचन्द (पुजारी मन्दिर फरह, जिला मथुरा) अछनेरा से, और पं० लखपतराय (वर्तमान मुलाजिम कानपुर) मदर्सा पैतीखेडा से आकर, हम छही, मिढाखुर पाठशाला में, साथ-साथ पाँचवी कक्षा मे विद्योपार्जन करने लगे। कुछ समय बाद मेरे और सत्यनारायण के हृदय मे श्रीमान् मुंशी
SR No.010584
Book TitleKaviratna Satyanarayanji ki Jivni
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBanarsidas Chaturvedi
PublisherHindi Sahitya Sammelan Prayag
Publication Year1883
Total Pages251
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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