SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 217
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सत्यनारायणजी की कुछ स्मृतियाँ १७५ ऐसा शुद्ध हृदय, जो दर्पण के दर्प को लज्जित करने वाला था, कहाँ मिल सकता है, यह मै नही जानता, ईश्वर ही जाने । उसका पूरा जीवन मनुष्य रूपी सेवा समिति का आदर्श था। उसके गुण मै आपसे क्या कहें। आप तो स्वयं उससे मिले थे। मेरा जी भर आया है, आखे तर हो आई है। लीजिये इस कागज पर भी आसू की एक बूंद गिरी ! आप को इस समय मैं उसकी यहो स्मृति भेजता हूँ !! श्रीमान् पूज्य पं० श्रीधर पाठक (प्रयाग) __"प्रियवर सत्यनारायण की असामयिक मृत्यु से मुझे जो आन्तरिक दुःख हुआ है भाषा द्वारा पूर्णतया प्रकट नहीं किया जा सकता। मै उनको उनकी १७-१८ वर्ष की वयस से जानता था । प्रथम परिचय पत्रालाप द्वारा हुआ था । कुछ काल के अनन्तर प्रत्यक्ष सलाप और समागम से वह पुष्टतर हुआ और फिर स्वत अधिकाधिक प्रगाढता प्राप्त करता गया। यद्यपि अभिन्न मैत्री के एकान्त तट तक कभी नही पहुँचा। समागम भी लम्बे-लम्बे अन्तर से हुआ था, अत मुझे उनकी मानसिक अन्तर्वृत्तियों का पूरा पता न लग सका। मुझे सत्यनारायणजी की कवित्वशक्ति की उत्तरोत्तर उन्नति देख हार्दिक आनन्द होता था । वह एक बड़े होनहार पुरुष-पुगव थे और यदि पूर्ण "पुरुषायुष जीविता' प्राप्त करते तो अपनी असाधारण शक्ति द्वारा स्वदेश की अनेक प्रकार से सेवा कर जाते । मेरी बातो को वह ध्यान से सुनते थे और सलाहो को प्रायः काम मे लाते थे। उनकी स्वाभाविक शालीनता उन्हे सदा सुजनोचित सौम्य से भूषित रखती थी। उनकी प्रतिभा उनसे साहित्य-सेवा का उत्कृष्ट काम लेती थी । उन्हे मै अपने आत्मीयो मे समझता था। गत हेमन्त मे जब उनका प्रयाग आगमन हुआ था, उनके 'मालतीमाधव' के कुछ अश श्रवण करने का मुझे सुअवसर प्राप्त हुआ था। उनका उच्च कोटि का कवि होना उनकी रसीली रचनाओ से निर्विवाद निर्धारित है। जब तक ससार मे हिन्दी भाषा का अस्तित्व है, सत्यनारायणजी की कविता का शिष्ट समाज मे दूसरे सत्कवियो की कविता के समान ही समादर रहेगा।
SR No.010584
Book TitleKaviratna Satyanarayanji ki Jivni
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBanarsidas Chaturvedi
PublisherHindi Sahitya Sammelan Prayag
Publication Year1883
Total Pages251
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy