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पं० सत्यनारायण कविरत्न
है जो प्रत्येक दर्शनकरनेवाले से )। दो पैसा ले लेता है । पंडितजी के पास पैसे थे नही । सिपाही के रोकने पर भ आप भीतर चले गये थे। जब लौटकर आये तो सिपाही ने उन्हे रोक लिया और कहा--"पहले दो पैसे रखदो, तब जाने पाओगे।" इसीलिये आप वहाँ बैठे थे। जब हम पहुंचे तो हमने पूछा--कैसे बैठे हो ? सत्यनारायणजी बोले--''बैठे का है गिरफदार है। खूब खबरि लई आपने । हम तो जानते कि कोई खवर लिवैया हैई नॉहि । जा राजा के सिपाही के पाले पडे है।" हमलोगो ने दो पैसे दिये और पडितजी दर्शन करके हमारे साथ चले आये। ___ नर्मदा मे हम लोगो ने स्नान किये । पंडा अपनी दक्षिणा लेकर चला गया-फिर सत्यनारायणजी ने मुझे बुलाया और कहा--"नर्मदाजी को पानी हाथ मे लेउ''-मैने कहा-"क्यो ?" पंडितजी ने कहा--"लेउ तौ पानी ।" मैने पानी लिया। फिर पडितजी ने कहा- तुम कहो, कि हे नर्मदाजी, हम सत्यनारायण के बाप बनते x x | " यह सुनकर मुझे हँसी आगई और मैने हाथ का पानी गिरा दिया। पडितजी ने कहा----"जि का करी । हम तुम्हे अपनी जमीन-जायदाद सब सौंपते और छुट्टी लेते "
ओङ्कारेश्वर से हम लोग मोरटक्का की ओर चल दिये। रास्ते में एक जगह पक्का कुँआ था। एक आदमी पानी पिलाता था। हम लोगों ने वहीं विश्राम किया और बैठकर चने खाने लगे । सत्यनारायणजी ने उस पानी पिलानेवाले को भी बुलाया और उसको भी वही बिठलाया। पंडितजी मुस्कराते हुए उस आदमी के सामने बैठ गये और बोले-“जि आदमी हमारी ससुरारि के मालूम पत्तें । " हम सब हँसने लगे-"हमारी नॉय तो हमारे कऊ मित्र की ससुरारि के है।" फिर सब हँसे ।।
पडितजी ने कहा-"हँसत का हो, पूछि जु लेउ ।" क्यौ भैया, कॉ रहतौ ?' उसने उत्तर दिया--"आगरे के पास" । पंडितजी ने कहा--- "कौन सो गाँव ?" उसने गॉव का नाम बतलाया। पंडितजी ने कहा "चतुर्भुज को जानतौ ?" वह आदमी बोला--"चतुर्भुज को तौ हमारी बहन ब्याही है।" सत्यनारायणजी ने कहा " देखि लेउ, हमने ठीक कही कि