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________________ (७) पर अभागेपन की बात यह है कि स्वयं ब्रजभूमि ने उनका यथोचित सम्मान नहीं किया। धांधूपुर मे उनका निवासस्थान जर्जर अवस्था मे पड़ा हुआ हमारी कृतघ्नता तथा प्रमाद की घोषणा निरन्तर कर रहा है ! ___ अभी उस दिन आगरा कालेज की हिन्दी यूनियन के सेक्रेटरी, जो बी० ए० के छात्र है, हमारे यहाँ पधारे। जब हमने उनसे पूछा “क्या सत्यनारायण कविरत्न का नाम आपने सुना है ?" तो उन्होने उत्तर दिया."नाम तो सुना है, पर उनके कार्य के विषय मे हम कुछ भी नहीं जानते।" यह उस आगरे की बात है जिसकी सड़को को सत्यनारायण जी के चरणों से पवित्र होने का सौभाग्य सैकडो नही, सहस्रो बार प्राप्त हुआ था। अपने कवियो के विषय मे अज्ञान की इस पराकाष्ठा का एक दूसरा दृष्टान्त भी सुन लीजिये । स्वर्गीय पं० श्रीधर पाठक के जन्मस्थान जौधरी मे एक अमर प्राइमरी स्कूल है, जिसमे २७० छात्र पढते है और उनमे से किसी ने भी श्रीधर पाठक का नाम तक नही सुना । ___ इस अज्ञान को दूर करने का कोई न कोई उपाय होना ही चाहिये । क्या यह सम्भव नहीं कि प्रत्येक जनपद के स्कूलों में एक पुस्तिका ऐसी भी पढाई जावे, जिसमे आसपास के लेखको तथा कवियो का परिचय हो? अपनी रूस यात्रा मे तुर्गनेव के जन्मस्थान ओरल मे हमने एक ऐसा संग्रहालय देखा था, जिसमें उस जिले के सभी मुख्य मुख्य लेखकों तथा कवियों के चित्र यथास्थान एक नकशे में चित्रित कर दिये गये थे। इस जीवन चरित्र की लेखन-पद्धति के विषय में दो मत हो सकते हैं। प्राचीनतावादी लोग इसे भारतीय परम्परा के प्रतिकूल कह सकते है, जब कि प्रगतिशील व्यक्ति इसका समर्थन ही करेंगे। स्वर्गीय पं० अमरनाथ जी झा ने अपने लखनऊ के एक भाषण मे अंग्रेजी साहित्य के हिन्दी पर प्रभाव का जिक्र करते हुए इस जीवन-चरित्र का प्रशंसात्मक उल्लेख किया था। पुस्तक को लेखन-पद्धति सदोष है, अथवा निर्दोष इसका फैसला विज्ञ पाठक अपनी अपनी रुचि के अनुसार स्वयं ही करेगे, पर इस अवसर
SR No.010584
Book TitleKaviratna Satyanarayanji ki Jivni
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBanarsidas Chaturvedi
PublisherHindi Sahitya Sammelan Prayag
Publication Year1883
Total Pages251
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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