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[ ३ ] आक्रमण किया, उन लोगों ने जो अपनी बोली में सकार को हकार उच्चारण करते थे सिध को हिन्द कहा और हिंद में रहने वालों को हिंद___ जब तुर्की में पीछे आने वाले मुसलमानों ने इस देश में राज्य स्थापित किया तो चूंकि उनकी अर्वी भाषा में हिंदू शब्द का अर्थ गुलाम या काफ़िर था और उन्होंने इस देशवासियों को फतह कर लिया था। इमलिये उन्हें भी यह हिंदू नाम ही इम देश वामियों के लिये ठीक लगा। इसलिये पार्यों को हिद् तथा आर्यावर्त को हिंदुस्थान के नाम से प्रसिद्ध कर दिया।
उपयुक्त विवेचना से पाठकों को भली प्रकार विदित हो गया होगा कि हिन्दू नाम इस देश वासियों का असली नाम नहीं। ऐसी अवस्था में इस देश वासियों का यह परम कर्तव्य है कि इस असभ्य तथा अनुचिन 'हिन्दू' नाम को सर्वथा तिलांजलि दे दें, क्योंकि जिस शब्द का किसी भाषा में 'गुलाम' या काफिर अर्थ हो उसको आर्य अर्थात् श्रेष्ठ पुरुष अपना नाम कभी स्वीकार नहीं कर सकते।
यह हिन्दु शब्द एसे भी बड़ा मनहूस अर्थात् गुलामी तथा हीनता का द्योतक है । इस लिये हमारा विश्वास है कि जब तक यह हिन्दू नाम इस देश में प्रचलित रहेगा, तब तक यहां के रहने वाल गुलामी में ही जकड़े रहेगे। क्योंकि नाम का भावों पर बहुत प्रभाव पड़ा करता है ।
हमारे मुसलमान तथा इसाई भाइयों को यदि आर्य "म स्वीकार न भी हो तो भी वे अपने को हिन्दी न कह । भार ही कहें तथा इस देश को भारत के नाम - हा पुकार।