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________________ श्रीकुंथुनाथस्तुति । श्री कुंथुनाथस्तुति । श्रीदेव्याः पूज्यवत्या सूर्यनाम्नो जगत्पितुः । कुंथुनाथ दयामूर्तिः जीवानां प्रतिपालकः ॥ १ ॥ अर्थ- समस्त जीवोंकी रक्षा करनेवाले और दयाकी [र्ति भगवान् कुंथुनाथ देव अत्यंत पूज्य महारानी श्रीदेवी और जगत् के पिता महाराज सूर्यदत्तके पुत्र थे । योगाद्विधः षोडश भावनायातीर्थंकरोऽभूदिह चक्रवर्ती । मह्यामुडूनामिव चन्द्रबिम्बं श्री कुंथुनाथः शुशुभे प्रजायाम् ॥२॥ अर्थ — हे भगवन् ! आप इस संसार में पुण्यकर्मके से चक्रवर्ती हुए थे और सोलहकारण भावनाओं के वेन्तवन करने से तीर्थंकर हुए थे । हे नाथ ! इस पृथ्वीपर जिसप्रकार ताराओं में चन्द्रमा शोभायमान होता है उसीप्रकार कुंथनाथ भगवन् ! आप भी इस प्रजामें सर्वोत्कृष्ट शोभायमान रहे थे । ६७ साम्राज्यलक्ष्मी मृदुना करेण भुक्त्वा वधूवन्मणिरत्नपूर्णाम् । तस्याश्च लक्ष्म्याश्चपलां प्रवृत्तिं दृष्ट्वा विरक्तः सुखशान्तिहेतोः ॥३॥
SR No.010578
Book TitleChaturvinshati Jin Stuti Shantisagar Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLalaram Shastri
PublisherRavjibhai Kevalchand Sheth
Publication Year1936
Total Pages188
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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