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बृहज्जैनवाणीसंग्रह ४८५ चूरुवाल चौसखा । पद्मावतीय पोरवाल परवार अठैसखा । । गंगेरवाल बन्धुराल तोर्णवाल सोहिला । करिन्दवाल पल्लि
वाल मेडवाल खोहिला ॥९॥ लमेंचु और माहुरे महिसुरी । उदार हैं। सुगोलबार गोलपूर्व गोलहूं सिंधार हैं ॥ बंधनौर ।
मागधी विहारचाल गूजरा । सुखण्ड राग होय और जानराज बूसरा॥ सुराल और सोरठ और मुराल चितोरिया। कपोल सोमराठ वर्गहूमड़ा नागौरिया। सीरागहोड़ भंडिया कनौजिया अजोधिया । मिवाड़ मालवान और जोधड़ा समोधिया ॥११॥ सुभट्टनेर रायवल्ल नागरा रुधाकरा । सुकन्थ । रारु जालुरारु बालभीक भाकरा ॥ परवार लाड़ चोड़कोड़। गोड़ मोड़ संभारा। सुखण्डित श्री खण्ठा चतुर्थ पंच। । भरा ॥१२॥ सु रत्नाकार भोजकार नारसिंह है पुरी। सु।
जम्बूवाल और क्षेत्रब्रह्म वेश्य लौ जुरी ॥ आई है चुरासिक जाति जैनधर्मकी घनी । सवै विराजि गोठियों जुइन्द्रकी । सभा बनी ॥१३॥ सुमाल लेनको अनेक भूप लोग आवहीं।।
सुएक एक 6 सुमांग मालको बढ़ावहीं ॥ कहै । जु हाथ जोरि-जोरि नाथ माल दीजिये । मंगाय देउं हेम-1 रत्न सो भण्डार कीजिये ॥१४॥ बघेरवाल यांकड़ा हजार वीस देत हैं । हजारदे पचास परवार फेरि लेत हैं। सु जैस* वाल लाख देत माल लेत चौपसों। जु दिल्लिचाल दोय लाख ।
देत हैं अगोपसों ॥१५॥ सु अग्रवाल बोलिये जुमाल मोहि । दीजिये । दिनार देहुं एक लक्ष सो गिनाय लीजिये । खण्डे