________________
KKAKE-
KA
T RAKAR
wwwwwwwwwwwwwwwwwww.
wwwwwwwww
___ वृहज्जैनवाणीसंग्रह ३०३ प्रभु आयुरही जब मास तणी तवै जी । संमेद पधारेजी, सब • जोग संघारेजी, समभाव विथारि वरी शिवतिय जबैजी ॥ । वसु गुण जुत भूषितजी, भव छारि बसे तितजी, सुख मगन
भये जित मावस चैतकीजी । सुर सब मिलि आयेजी, शिव* मंगल गायेजी, बहु पुण्य उपाय चले तुम गुणत कीजी॥१०॥
गुणवृंद तुम्हारेजी, बुध कौन उचारेजी, गणदेव निहारे पै। वचना कहै जी । "चंदराम" करै थुतिजी, वसु अंगथकी ।
नुतिजी, गुण पूरन यो मति मर्म तुहे लहैजी । ११॥ प्रभु । अरज हमारीजी, सुनिज्यो सखकारीजी, भवमें दुखभारी निवारी हो धणीजी । तुम सरन सहाईजी, जगके सुखदाईजी
शिवदे पितुमाई कहो कबलौं धणीजी ॥१२॥ का धत्ता-इति गुण गण सारं, अमल अपारं, जिय अनंतके हिय
धरई । हनि जरमरणावलि, नासिभवावलि, सिवसुंदरि
ततछिन वरई ॥ १३॥ *ओं ही श्रीअनंतनाथ जिनहाय महार्य निर्वपामोति स्वाहा ।
११५-श्रीशांतिनाथ जिनपूजा। सर्वारथ सुविमान त्यागि गजपुरमें आये। विश्वसेन भूपाल तासुके बाल कहाये ।। पंचम चक्री भये दर्प द्वाद* शमें राजें। मैं सेऊं तुम चरन तिष्ठिये जो दुख भाजै ॥ १॥ * ओं ही श्रीशांतिनाथजिनेन्द्र ! अत्र अवतर अवतर । संवौषट् ।
ओं ही श्रीशांतिनाथजिनेन्द्र ! अन तिष्ठतिष्ठ। ठ ।
*
RK-
515AKRA