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माशंसा तजी, मात्र एक शुद्धात्म तत्वना रुचिवान घई, भोघसंज्ञा तथा लोक संज्ञा परिहरी, विधि विवेक पूर्वक सर्वे जिनमा शिरोमणि श्री अरिहंत भगवंतनी भक्तिमां प्राणा सेववामां लीन थजो तो सर्वे देवोमां चंद्रम समान अरिहंत भगवंत सदृश परमात्म पदने पामशो. एज उत्कृष्ट स्वाधीन भविनश्वर महोदय प्राप्त करवानी युक्ति छ ।॥८॥
॥संपूर्ण ।।
॥ कलश ॥ राग धन्याश्री ॥ वंदो वंदोरे जिनवर विचरंता वंदो, कीर्तन स्तवन नमन अनुसरतां ॥ पूरव पाप निकंदोरे जिनवर विचरंता वंदो ॥१॥
अर्थः-विहरमान जिनेश्वरने हे भव्यो ! भाव सहित चंदो,तेओना सद्गुणोनु कीर्तन करो, तेश्रोनु स्तवन करो, मार्दव परिणामी थई तरण तारण जिनेश्वरने नमो, तेओनी ' माझाने अनुसरो, जेथी पूर्व बांधेला अनेक प्रकारनां कर्मों निम्ल थाय ॥ १॥