________________
गच्छ कदाग्रह साचवे माने धर्म प्रसिद्ध । आतम गुण अकषायता
धर्म न जाणे शुद्ध ॥ चद्रा ।। तेरहवें चन्द्रबाहु भगवान के स्तवन मे श्रीमान् ने भगवान जब कि वीतराग हैं, भक्त और विरोधी पर समान भाव वाले हैं, तो उनकी पूजा वंदना से क्या लाभ ? इस प्रश्न का सुन्दर जवाब दिया है
परमेश्वर आलबना, राच्या जेह जीव । निर्मल साध्यनी साधना,
साधे तेह सदीव ॥ चद्र०॥ वंतराग परमेश्वर की पूजा, वदना भक्ति के आल बन को जो जीव स्वीकारते है वे कर्म मल रहित मोक्ष साध्य की साधना साधते हैं। ___ चौदहवें श्री भुजग स्वामी भगवान के स्तवन में श्रीमान् आत्म द्रव्य के सामान्य विशेष गुण पर्यायों की विवेचना करते हुए जड़ चेतन का सुन्दर विवेक कराया है
जड द्रव्य चतुष्के हो फर्ता भाव नहीं । सर्व प्रदेशे हो के, वृत्ति विभिन्न कही ॥ २ ॥