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शक्ति व्यक्ति एक भावे छे तथा श्राप अमुक वर्तमान समये सर्वे द्रव्यना त्रिकालवी पर्यायोने समकाले प्रत्यक्ष पणे जाणो छो अर्थात् प्रा समये
आवी रीते परिणामे छ, श्रावते समये अमुक रीते परिणमशे पछी बीजे समये अनागतने वर्तमान पणे जाणो छो अने वर्तमान परिणतिने भूतपणे जाणो छो एम उत्पाद् व्ययने भोगवो छो पण आपनी कोइ पण शक्ति हवे श्रावृत्त नथी के जे हवे प्रगट व्यक्त थाय माटे सर्वे शक्ति व्यक्ति एक भावे छे. तथा ज्ञान शुद्ध ज्ञानपणे, दर्शन शुद्ध दर्शनपणे, एम श्रापना सर्वे गुणो राग द्वेष मोह विगेरेथी रहित समभावे परिणमे के कारण के विषय परिणामना हेतु अज्ञान मिथ्यास्व कषायनो आपे समूल नाश को छे वली जेम श्राप प्रचल सिद्ध स्वक्षेत्रमा वसी स्वतंत्र पणे अनंत ज्ञान, अनंत दर्शन, अनंत सुख, अनंत वीर्य, अव्यावाधता, अटल अवगाहना, अगुरूलघुत्व, अमूर्त्तित्त्व, अजरता, श्रमरता, निर्भयता, निरामयता, निराकुलता, निद्धधता, निस्पृहता धादि अनंत गुण जन्य आनंद समूहना विलासी थया छो तेमज हुं पण संग्रह नये भाप समान सत्ता