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विद्यार्थी जैन धर्म शिक्षा। श्यारहवां अध्याय ।
जैन और बौद्ध धर्म। शिक्षक-मैने बौद्धोंकी कुछ पाली भाषाकी पुस्तकाको ढंग्रेजी द्वारा तथा उनके इग्रेजी उत्थाओको पढा है। उसमे मैं इस निर्णयपर आया हूं कि गौतम बुद्धने कोई नया मत नहीं चलाया। जैनमतको ही एक ऐसी सरल व प्रचलित पद्धतिसे उपदेश किया कि जिसमे दुनियाके लोगोंने बहुत जल्दी समझ लिया । जैनधर्म ही असलमे बौद्ध धर्मके रूपमें प्रचलित हुआ। गौतम बुद्धके भावामे जैन तत्वज्ञान ही भरा था जिसे उन्होने दूसरे ढगसे प्रकाश किया । गौतम बुद्ध घर छोड़नेके पीछे अपनी २९ वर्षकी आयुसे ३५ वर्षकी आयु तक ६ वर्षके वीचमें जैन मुनि भी रहें। जैन मुनिकी क्रियाएं पाली। ३५ वर्षकी आयुमें गयाजीमे जाकर इन्होंने जैन मुनिकी क्रियाको कठिन समझकर सरल और मध्यम मार्ग प्रचलित किया। ढि०जैनोंके दर्शनसार ग्रन्थसे प्रगट है कि श्री पार्श्वनाथस्वामीकी परम्परा संप्रदायमें श्री पिहिताश्रव मुनि होगये है उनके शिष्य गौतम बुद्ध हुए और नग्न रहकर तपस्या की। पिहितात्रय मुनि बहुत प्रसिद्ध थे । यूनानदेशमे प्रसिद्ध एक तत्वज्ञानी पैथागोरस Pythagoras पिथागुरु व पिहितगुरु होगए है। यह पक्के शाकाहारी थे। जैनगजट अंग्रेजी जुलाई १९३३मे एक लेख डाक्टर काज Dr Charlotte Kause द्वारा लिखित है । उससे मालूम हुआ कि यह तत्वज्ञानी सन् ई० मे ५९० वर्ष पहले यूनियन मीके सोयासट्टीपमे जन्मे थे