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जीव तत्व।
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(१०) लेश्या- छ हो होसक्ती हैं। एक दफे एक होगी। (११) भव्य--भव्य, अभव्य दोमेंसे एक होमक्ता है।
(१२) सम्यक्त-मिथ्यात्व एक प्रकारका शृद्धान है। यदि कभी सम्यक्त होजावे तो क्षायिकके सिवाय पांचों मार्गणाओंमें एक समयमें एक होगी, तब ज्ञान मति, श्रुत, अवधि, कुअवधि चार भी. संभव है।
(१३) सनी-सैनी मनसहित है ।
(१४ आहारक-आहारक हैं क्योंकि पुद्गलको समय२ ग्रहण करता है।
शिष्य-आपने बहुत उपयोगी बात बताई । अच्छा बताईये कुत्तेके गुणस्थान कितने हैं ?
शिक्षक-कुत्ता पशुगतिमे है । पशुओंमें पहले पाच गुणस्थान होसक्तं हे । गुणस्थान एक समयमें एक ही होगा । इस कुत्तेके तो पहला गुणस्थान है। अच्छा, अब आप वृक्षकी चौदह मार्गणाएं कह जायें।
शिष्य -वृक्षकी चौदह मार्गणाएं नीचे प्रकार होंगी--- (१) गति-तिर्यच गति । (२' इन्द्रिय-एकेन्द्रि। (३) काय-वनस्पति काय! (४) योग-काययोग एक । (५) वेद-नपुंसक वेद । (६) कपाय-चारों कपाय (७) ज्ञान-कुमति, कुश्रुत :