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________________ बी० अक्षत-पुण्यराशि सोजी तासम अक्षत लीजिये, चरनन ढिग जी पुंज मनोहर कीजिये। अभिनंदनजी पजन, जग बंधन तोडन बली,हम पूजें जी विघ्न संघन सवही टली। ॐहीश्रीअभिनन्दननाथ जिनेन्द्राय संग्रह गर्भ, जन्म,तप,ज्ञान,निर्वाण पंच कल्याण प्राप्ताय अक्षयपद प्राप्तये अक्षतान निर्वपामीति स्वाहा। १६२ : पुष्प-चंपक अरजी बेल चमेली जानिये, सुर तरु के जी फूल मनोहर आनिये । अभिनन्दन जी जग __ वंधन तोडन बली,हम पूजेंजी विघ्न सघन सब ही टली। ॐ ह्रीं श्रीअभिनन्दन नाथ जिनेंद्राय गर्भ,जन्म,तप, ज्ञान,निर्वाण पंचकल्याणप्राप्ताय काम वाण विनाशनाय पुष्पं निर्वपामीति स्वाहा। नैवेद्य-रसपूरित जी नेवज सदलायोधनी,तित देखतजी क्षुधा रोग सब ही हनी। अभिनंदन जी जग बंधन जोड़न बली, हम पूजें जी विघ्न सघन सब ही टली। ॐ ह्रीं श्री अभिनन्दन नाथ जिनेन्द्राय गर्भ,जन्म, तप,ज्ञान,निर्वाण पंचकल्याण प्राप्ताय क्षुधारोग विनाशनाय नैवेद्यं निर्वपामीति स्वाहा । दीप-रत्नन के जी दीपक तुम आगे धरें,तिस जोति सों जी अन्ध दशों दिश का हरें । अभिनन्दन जी ' जग बंधन तोडन बली,हम पूजें जीविघ्न सघन सब ही टली। गेही श्रीअभिनन्दन नाथ जिनेन्द्राय गर्भ,जन्म,तप,ज्ञान,निर्वाणपंचकल्याण प्राप्ताय मोहांधकार विनाशनाय दीपं निर्वपामीति स्वाहा। धूप-दशगंध सोजी कर्पूरादि मिलाइये, तिस खेवत जी अष्ट करम सु जराइये। अभिनंदन जी जग बंधन तोडन वली, हम पूजेंजीविघ्न सघन सवही टली। ॐ ह्रीं श्रीअभिनंदननाथ जिनेन्द्राय गर्भ, 'जन्म, तप, ज्ञान,निर्वाण पंचकल्याण प्राप्ताय अष्टकर्मदहनायधूपं निर्वपामीति स्वाहा। .
SR No.010573
Book TitleVarttaman Chaturvinshati Jina Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBakhtavarsinh
PublisherBakhtavarsinh
Publication Year
Total Pages245
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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