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________________ .... ४ अथ श्री अभिनन्दननाथजिन पूजा प्रारभ्यते। ... बखतावर सिंह कृत (छन्द सुन्दरी) स्थापना-पिता संवर जिन वर के सहो, नगर साकेता अद्भुत कही। ... चिह्न मर्कट को उर जानके, तिष्ट अभिनंदन इत आन के ॥१॥ ॐ ह्रीं श्रीअभिनंदननाथ जिनेंद्र अत्रावतरावतर संवौषट् आह्वाननम् ॐ ह्रीं श्रीअभिनंदननाथ जिनेंद्र अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्थापनम् । डों ह्रीं श्री अभिनंदननाथ जिनेंद्र अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट् सन्निधोकरणम्। . अथ अष्टक (विजयानी सेठ को चाल)...... जल-शुभवारि सो जी पद्म हद को लाइये, भरझारी जी चरनन माहिं चढाइये। अभिनंदन. जी जग बंधन तोडन बली, हम पूजें जो विघ्न सघन सब ही टली । ओह्रीं श्रीअभिनन्दननाथ जिनेंद्रायगर्भ जन्म,तप,ज्ञान निर्वाणपंचकल्याणप्राप्ताय जन्म मृत्युजरारागविनाशनायजलंनिर्वपामीतिस्वाहा । चंदन-हरि चंदन जी सरस सुवास सुहावने, तिस ऊपरजी गुंजत अलिगण आवने। अभिनंदनजीजग - बंधन तोडनवली, हम पूजें जीविघ्न सबन सब हीटली। ओ ह्रीं श्री अभिनन्दन नाथ जिनेद्रायगर्भ, जन्म,तप,ज्ञान,निर्वाण पंचकल्याणप्राप्ताय संसारातापरोग विनाशनाय चन्दनं निर्वपामीति स्वाहा।
SR No.010573
Book TitleVarttaman Chaturvinshati Jina Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBakhtavarsinh
PublisherBakhtavarsinh
Publication Year
Total Pages245
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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