SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 26
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ चौबी० नमस्ते ॥७॥ सुमन वृष्टि नभ होत नमस्ते, सिंहासन रवि जोत नमस्ते । चौसठ.चमर दुरंत नमस्ते पूजन सुर ढुंदभि वाजंत नमस्ते ॥ ८॥दिव्य ध्वनि घन घोर नमस्ते, हरषत भवि जन मोर नमस्ते। भामंडल संग्रह भव पेष नमस्ते, छत्र कोटिरवि रेख नमस्ते ॥ ९॥ चतुरानन भगवान नमस्ते, तत्व प्रकाशन ज्ञान ४६० नमस्ते । लक्षग चरन तुरंग नमस्ते, वपु कंचन के रंग नमस्ते ॥ १०॥ चार शतक धनुकाय नमस्ते, वंश इक्ष्वाकु सुआय नमस्ते । खेचर भूचर राय नमस्ते, नमन करें सिरनाय नमस्ते ॥११॥ शिखर समेद महान नमस्ते, पूजू मोक्ष सुथान नमस्ते । अष्ट गुणन के राज नमस्ते, सोहत सब सिर ताज नमस्ते ॥१२॥ बखतावर सिर नाय नमस्ते, रतनलाल गुण गाय नमस्ते। यह मेरी अरदास नमस्ते, दीजे शिवपुर वास नमस्ते ॥ १३॥ घत्ता छन्द-जय संभव स्वामी अंतर्यामी त्रिभुवन नामी सुखदाई । हम पूजें ध्यावें तूर वजावे गुण गण गावें हरषाई ॥ १४॥ डों ह्रीं श्री संभवनाथ जिनेंद्राय गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान निर्वाण पंच कल्याण प्राप्ताय अनर्घ पद प्राप्तये अर्घ निर्वपामीति स्वाहा। अथ आशीर्वादः। संभवनाथ जिनेश तनी इह वर जयमाला, तन मन बचन लगाय पढे जो बुद्धि विशाला। दुःख दरिद्र को नाश होत ता ग्रह के माही, ऋद्धि सिद्धिवर वृद्धि होत ना घटे कदा ही। ॥ इत्याशीर्वादः॥ इति श्री संभवनाथ जिन पूजा संपूर्णा ॥ ३॥
SR No.010573
Book TitleVarttaman Chaturvinshati Jina Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBakhtavarsinh
PublisherBakhtavarsinh
Publication Year
Total Pages245
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy