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________________ .. . ..... चोबी० पूजन संग्रह : %3 ॥ " . .....-९ अथ श्रीपुष्पदन्तजिन पूजा प्रारभ्यते । । (बखतावरसिंहकृत) छंद कोसमालती। स्थापना-काकंदी नगरी में आये तज अपराजित नाम विमान । श्वेत वरण लक्षण शफरी पति काय धनुष शतं एक प्रमान। मातरमा सुग्रीव पिता सुत पुष्प दंत भगवंत महान । ... महिमाऽनंत अनंत गुणाकर सो प्रभु तिष्ठ तिष्ठ इत आन ॥१॥ ॐ ह्रीं श्रीपुष्पदंत जिनेंद्र अत्रावतराऽवतर संवौषट् आह्वाननम् ॥ ... ॐ ह्रीं श्री पुष्पदंत जिनेंद्र अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्थापनम् । . : . : . . ॐ ह्रीं श्रीपुष्पदंत जिनेंद्र अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट् सन्निधीकरणम् ॥ .. . अथ अष्टक । छन्द पायता। | जल-जल उत्तम द्रह को लावें, कंचन झारी भरध्यावें ।श्री पुष्पदंतमहाराजा, तुम पद पूजत अघभाजा। . .. ॐ ह्रीं श्री पुष्पदन्त जिनेन्द्राय गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान, निर्वाण पंचकल्याण प्राप्ताय जन्म मृत्य जरा रोग विनाशनाय जलं निर्वपामीति स्वाहा। || चंदन-बावन चंदन घसलाई, ता सौरभ पै अलिछाई। भवताप विनाशनहारे,पद पुष्पदंत जिलथारे ॥ जन्म, तप, ज्ञान, निपद पूजत अघभाजा। ..मृत्यु जरा रोग विना
SR No.010573
Book TitleVarttaman Chaturvinshati Jina Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBakhtavarsinh
PublisherBakhtavarsinh
Publication Year
Total Pages245
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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