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________________ चोबी पूजन संग्रह . ४९० | छंदउपगीता-धनदकरेनितसेवा,भूषणवस्त्रादिसुर्गतेल्यावे । तुमसमवयधरदेवा,क्रीडातुमदेखसर्वहरपाव] .. छंद लक्ष्मीधरा-देख क्रीडा सवै मावते अंगना,दोजकेचंद ज्यों वृद्ध होतेजिना। राज कीनो प्रजा दुःख टाले सवे,वीतियो लक्ष नौ पूर्व आयु तवै ॥९॥ फेर वैरागकी भावना भाइयो,ब्रह्म लोकांतके देवतहां अइयो । बोध के आपको राह ले धाम की,इंद्र ले पालिकी मोतियादाम की ॥ १०॥ ता समें बैठ के जाय उद्यान में, सार दीक्षा लई चित्त दे ध्यान में। चार घाती हने ज्ञान पायो महा, वैठ संवाद में धर्म सारा कहा ॥ ११ ॥ भव्य को बोधियो लक्ष पूर्वतही, फेर सम्मेद पै आप आये सही । योग नीरोध के नाश अघातियो, बास शिव को लियो ज्ञान में भासियो ॥१२॥ आर्या छंदतुम गुण वर्णत हारे,गणधर इंद्रादिक महानामी। हम लघुवुद्ध विचारे, किमवरने सुगुण तुम स्वामी॥१३॥ छन्द लक्ष्मीधरा-स्वामी दीजे हमें मोक्ष लक्ष्मी धरा, चर्न तेरे तले कोट तीर्थंवरा । ज्यों सुमंत भद्र के - काज में देरना, त्यों कृपा सिंधु मोदास को हेरना ॥ १४॥ | घत्ता छन्द-तुम गुण में सुंदर नमत पुरंदर जय माला सुख की करनी। जो पढें पढावे हित करगावें "बखत रतन" सुख की भरनी॥ १५॥ ॐ ह्रीं श्री चन्द्रप्रभ जिनेन्द्राय गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान, निर्वाण पंचकल्याण प्राप्ताय अनर्घ पद प्राप्तये महाऽय निर्वपामीति स्वाहा ॥ | अथ आशीर्वादः,आर्याछंद-अहोनामीचंद देवाधि देवा, पूजें ध्यावें तास संसार छेवा । तिहारी,ते पावै शाश्वतो सुवख भारी॥१६॥इत्याशीर्वा: ।
SR No.010573
Book TitleVarttaman Chaturvinshati Jina Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBakhtavarsinh
PublisherBakhtavarsinh
Publication Year
Total Pages245
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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