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________________ पूजन संग्रह ५५० चौबी० चंदन-चौपाई। चंदन मलयागिरि घसलाय, कनक कटोरी भर सुखदाय । मल्लि जिनेश्वर के पदसार, । .. चरचूं मन बच तन हितधार। डों ड्रीं श्रीमल्लिनाथ जिनेन्द्राय गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान निर्वाण । पंचकल्याण प्राप्ताय संसारा ताप रोग विनाशनाय चन्दनं निर्वपामोति स्वाहा ॥ ... अक्षत-छन्द(योगीरासा) मुक्ता की सम उज्वल अक्षत पावन धोय सुलीनें । कनक रकाबी में शुभ कर के पुंज जो सन्मुख कीनें । मल्लिजिनेश्वर मदन हनेश्वर ध्यावत सर नर सारे। रत्नत्रय निधि देऊ अनूपम भव दधितें भवितारे । उौं ह्रीं श्रीमल्लिनाथ जिनेन्द्राय गर्भ,जन्म,तप, ज्ञान, निर्वाण पंचकल्याण प्राप्ताय अक्षयपद प्राप्तये अक्षतान् निर्वपामीति स्वाहा । पुष्प-(चाल अठाई पूजा को) चंपादिक फूल मंगाय तापे अलिछाये । यह काम बान नसजाय तुम पद को ध्याये । श्रीमल्लि जिनेश्वर देव छबि तेरी प्यारो । तुम बालपनें महाराज काम व्यथा टारी। • ह्रीं श्रीमल्लिनाथ जिनेन्द्राय गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान, निर्वाण पंचकल्याण प्राप्ताय काम वाण विनाशनाय पुष्पं निर्वपामीति स्वाहा। नैवेद्य-(छन्द बसंत तिलका) खाजेजुधेवर अपार मंगाय ताजे,पूजं जिनंद तुम पादछुधादि भाजे । तोही समान तिहुँ लोक विषेन हेरा,श्रीमल्लिनाथ भव वासनिवार मेरा। रोह्रीं श्रीमल्लिनाथ जिनेन्द्राय . गर्भ, जन्म,तप,ज्ञान निर्वाण पंचकल्याण प्राप्तायक्षधारोग विनाशनाय नैवेयं निर्वसमीति स्वाहा। दीप-(छंद त्रिभंगी) दीपक उजियारं अंध निवारं बहु सुख धार जोति धरे! पद अंबुज थारे ता ढिग द
SR No.010573
Book TitleVarttaman Chaturvinshati Jina Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBakhtavarsinh
PublisherBakhtavarsinh
Publication Year
Total Pages245
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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