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चौबी०
पूजन
संग्रह
धारे ज्ञान उजारे मोह हरे। श्रीमल्लिजिनेशं मदन हनेशं जगत महेशं तीर्थेशं । भवि कमल दिनेशं कमद निशेशं भव पोतेशं परमेशं। डों ह्रीं श्रीमल्लिनाथ जिनेन्द्राय गर्भ, जन्म, तप,
ज्ञान, निर्वाण पंचकल्याण प्राप्ताय मोहांधकार विनाशनाय दीपं निर्वपामीति स्वाहा। धप-(सुंदरी छंद) गंध दश बिध की अति लेय हूं, अमर जिह्व विषे धर खेय हूं। मल्लि जिनवर के पद |
ध्यावते, अष्ट कम संबी उड़ जावत। ॐ ह्रीं श्री मल्लिनाथ जिनेंद्राय गर्भ, जन्म, तप ज्ञान,
निर्वाण पंचकल्याण प्राप्ताय अष्ट कर्म दहनाय धूपं निर्वपामीति स्वाहा। | फल-(कोशमालती छंद) एला केला दाख छुहारा,पिस्ता श्रीफल क्षारक लाय। मोक्ष महा फल चाखन
कारण, पूजू तुम को शीस निवाय । मल्लिनाथ जिन काम बिडारी, दीने आठों कर्म निवार । .. मोक्षपुरी में बासा कीना गाऊं तुम गुण वारंवार । डों ह्रीं श्री मल्लिनाथ जिनेन्द्राय गर्भ,जन्म || ...
तप, ज्ञान निर्वाण, पंचकल्याण प्राप्ताय मोक्ष फल प्राप्तये फलं निर्वपामीति स्वाहा। | अर्घ-(विजयानी सेठ की चाल) जल फल वसुजी आठों द्रव्य समार के। कर अर्घ सुजी तुम सन्मुख |
ही धार के । श्रीमल्लि सुजी डूबत मोहिनिकारिये । शिव बास सो जी ता मधि वेग सु धारिये।
रों ह्रीं श्री मल्लिनाथ जिनेन्द्राय गर्भ, जन्म. तप, ज्ञान, निर्वाण पंचकल्याण प्राप्ताय अन_पद · प्राप्तये अर्घ निर्वपामीति स्वाहा॥
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