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________________ I मझार। . पूजन संग्रह - - चौबी० १९ अथ मल्लिनाथ जिन पूजा प्रारभ्यते। बखतावरसिंह कृत (कवित्त) || स्थापना-अपराजित सु विमान त्यागकर आये मिथिला नगर मझार। . - ५४९ कुंभराय राजा तहां सोहे, प्रजावती तिन के पट नार ॥ तिन के घर तुम जन्म लियो श्रीमल्लि जिनेश्वर करुणा धार। सो प्रभु तिष्ठ आय यह थानक दास तने सब कर्म निवार ॥१॥ .. ओं ह्रीं श्रीमल्लिनाथ जिनेंद्र अत्रावतराऽवतर संवौषट् आह्वाननम् । ॐ ह्रीं श्रीमल्लिनाथ जिनेंद्र अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्थापनम् । ओं ह्रीं श्री मल्लिनाथ जिनेंद्र अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट् संनिनधी करणान् । अथ अष्टक । छंद गीता॥ जल-पंचम उदधि को नीर निर्मल भर सुझारी लीजिये, तुम चरण के ढिग धार देऊ तृषानाशन कीजिये । श्रीमल्लि जिनवर अतुल योधा कामतें प्रभु जय लही, तिहुँ लोक में तुन सम न देखे शरण चरणन की गही। ॐ ह्रीं श्रीमल्लिनाथ जिनेंदाय गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान, निर्वाण पंचकल्याण प्राप्ताय जन्म मृत्यु जरा रोग विनाशनाय जलं निर्वपामीति स्वाहा ॥ :
SR No.010573
Book TitleVarttaman Chaturvinshati Jina Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBakhtavarsinh
PublisherBakhtavarsinh
Publication Year
Total Pages245
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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