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________________ . . .. .. चौबा पूजन संग्रह निर्वाण-स्योग निरोध किये अरि घात। मावस चैत जु मास सुहात ॥ वरी शिव नारि भये जब .. सिद्ध । जजै हम चर्न लहें सब ऋद्ध ॥ ॐ ह्रीं श्रीअरनाथ जिनेन्द्राय चैत्र कृष्ण अमावस्या मोक्ष कल्याण प्राप्ताय अर्घ निर्वपामीति स्वाहा। ... अथ जयमाला। दोहा। महाअर्घ-अष्टादश तीर्थेश पद, सप्तम चक्रीदेव । लह मनोज पद चौदमो, करूं सुतुम पद सेव ॥ .. चाल पंचकल्याणक की-अपराजित तज के भये, गजपुर नगर मझार । मित्रादेवी कूष में, आये जिन सुख कार ॥ तार तार अर नाथ जी ॥२॥ जन्मे युत त्रय ज्ञान.जी, दश अतिशय ले आप। कनक वरण तन सोहनो, उन्नत तीस सुचाप ॥ तार तार अर नाथ जी ।। ३ ॥ बरष चौरासी सहस की, आयु लही जगदीश। पाव गई कुमरा पने, राज कियो फिर.ईश ॥ तार तार अर नाथ जी ॥४॥ सहस बयालिस भोगियो, सहस छानवें नार। चक्रवर्ति पद की विभो, गिनत न पावें पार ॥ तार तार अरनाथ जी॥ ५॥ कारण लख विरकत भये, जगत अनित्य विचार। लौकांतिक सुर आय के, नमत भये पद सार ॥ तार तार अर नाथ जी ॥६॥ जंवू तरु तल जाय के, सहस: भूप ले संग।! पण मुष्टी कच लौंचियो, षष्ठम धार अभंग ॥ तार तार अर नाथ जी॥ ७॥ नाग पुरी नगरी गये अशन हेत महाराज । अपराजित कर पै दियो, बरखे रतन समाज ॥ तार तार अरनाथ जी ॥८॥
SR No.010573
Book TitleVarttaman Chaturvinshati Jina Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBakhtavarsinh
PublisherBakhtavarsinh
Publication Year
Total Pages245
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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