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दूसरे संस्करण की बात प्रथम संस्करणके तुरंत ही समाप्त होने के बाद अब ६ साल बाद इसका प्रकाशन हो रहा है । कारण यह कि प्रथम संस्करण धर्म प्रचार भावना से प्रकाशित हना था कोई व्यापारिक दृष्टिकोण नहीं था। प्रतः दूसरे संस्करण के लिए दातार की प्रतीक्षा रही। श्री पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव गौहाटी (फरबरी १९६५) पर गौहाटी को धो दि० जैन पंचायत के दान द्रव्य से इसका पुनः प्रकाशन हो रहा है । गौहाटी जैन पंचायतके यशस्वी मंत्री बा० नेमोचंद्र जी पांडया ने वीर जयन्ती पर ही इसका प्रकाशन करने की बात लिखी थी किन्तु यह वीर-निर्वाण पर प्रकाशित हो पा रहा है। हम मंत्रीजी एवं समूची दि जैन पंचायत गौहाटी का इस प्रकाशन की आर्थिक सहायता के लिए हार्दिक प्राभार मानते हैं।
इस अन्तरकाल में कुछ अन्य रचनाएँ भी रची गई हैं जिनमें तीर्थकर भ•पार्श्वनाथ के पावन जीवनवृत्त से सम्बन्धित प्रबन्ध काव्य प्रमुख है । परिस्थितियों को अनुकूलता होने पर ही वह भी पाठकों के हाथों में पहुंचेगा।
दूसरे संस्करण में कोई विशेष परिवर्तन नहीं किए गए हैं। कहीं कहीं यत्किचित परिवद्धन हुमा है।
अलीगंज दीपावली १९
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