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________________ 16 उपात्तप्रमाणानि पु. सं. पङ्क्ति सं. न सत्तन्नासदुच्यते (आ) गी. 13-12 .... 144 18 .... 23 .... 1455 न सन्ति प्राणिनो यत्र (स) वि. पु. ... 1029 न सन्न चासच्छिव एव (स) श्वे. 4-18 न सोऽस्ति प्रत्ययो लोके (आ) वाक्यपदीयम् .... न हिंस्यात् (आ) नाना वा देवतापृथक्त्वात् (आ) पू. मी. सङ्कर्ष काण्डे 14-2-14. नाम्यः पन्थाः (स) श्वे. 6-15 ... 40 .... . 46 40 , (आ) श्वे. 6-15 नारायणः परं ब्रह्म (स) म. ना. 11-4 नासदासीनो सदासीत् (स) तै. ब्रा. 2-8-9 (आ) ... 144 ..... 41 . 144 16 - 1 12 नास्य जरयैतज्जीयति (स) छा. 8-1-5 निगहनं चतुष्काणां (स) .. 3007 नित्यं नित्याकृतिधरं (स) सात्वतम् . 288 12 नित्यं हि नास्ति जगति (स) म. भा. शा. 347-32 277 .. 288 16 नित्यसिद्धे तदाकारे (स) पौष्करसंहिता .. नित्या भूतिर्मतिश्च (आ) त. मु. 1-6 .... 272 21 नित्या लिङ्गा स्वभावसंसिद्धि. (स) रहस्याम्नाय: 288 नित्यैवैषा जगन्माता (आ) वि पु. 1-22 53 .. 80 नित्यो नित्यानां चेतनश्चेतनानां (स) क. 2-5-13, 123 श्वे. 6-18. 288 - CV -
SR No.010565
Book TitleTattvarthamuktakalap and Sarvarthasiddhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVedantacharya
PublisherSrinivasgopalacharya
Publication Year1956
Total Pages426
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size42 MB
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