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________________ 36 ___16 9 उपात्तप्रमाणानि पु. सं. पड्डि सं. अधीगर्थदयेशां कर्मणि (आ) पा. सू. 2-3-52 .... 240 13 ___ .... " 14 अनादेवंसिनी मात्वात् (स) चित्सुखी अनिर्वाच्याविद्याद्वितयसचिवस्य (स) भामती अनिष्टाननुकूलत्वे (आ) ... 7520 अनुमानानुगृहीतं च प्रमाणं (आ) . .... 114 अनृतेन हि प्रत्यूढाः (स) छा. 8-3-2 ...... 180 , (आ) .... 144 10 अनेन साम्यं यास्यामि (स) मो. ध. .... 1724 अन्धस्सन्ननन्धो भवति (स) छा 8-4-2 .... 48 अन्नमयो यशः (आ) .... 281 17 अन्यूनश्चाप्यवृद्धश्च (स) स्मृतिः ... 3017 अपागादग्नेरग्नित्वं (स) ... 1882 अपि वा शब्दपूर्वत्वात् (आ) पू. मी. सू. 9-1-9 अप्राकृतं सुरैर्वन्धं (स) जितन्ता 2-2-1 अप्राप्य मनसा सह (स) तै. 2-4-1 239 अभिगमनेनावद्यति (आ) .... 298 10 अमृतस्यैष सेतुः (स) मु. 2-2-5 .... 47 14 , (आ) ... 4721 अरोषणो ह्यसौ देवः (स) उपरिचराख्याने अविद्यया मृत्यु तीवा (स) ई. 11, मै. 7-9 , (आ) , अविद्याकर्मसंज्ञाऽन्या (स) वि. पु. 6-7-61 अविद्यातरुसंभूति बीजं (स) । .... 1808 अविद्यायामन्तरे वर्तमानाः (स) क. 1-2-5, मु. 1-2-8 अविद्यासञ्चितं कर्म (स) वि पु. 2-13-70 ... अव्यक्तं कारणं यत्तत् (स) ..... 143 अव्यक्तमक्षरे लीयते (स) सु. 2. .... 41
SR No.010565
Book TitleTattvarthamuktakalap and Sarvarthasiddhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVedantacharya
PublisherSrinivasgopalacharya
Publication Year1956
Total Pages426
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size42 MB
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