SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 106
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विषय-सूची ३८१ ३७२ ३७४ 'पृथिवीके छत्तीस भेद ९३-९४ - ३६९ / स्वरूप, नरकोंमें प्रस्तारोंत्रस जीवोंका वर्णन ९४-९६ की संख्या आदि १११-११४ ३७९. इन्द्रियोंकी संख्या और भेद ९६ ३७० नरकोंमें बिलोंकी संख्या ११४ द्रव्येन्द्रिय और भावेन्द्रिय ९७ ३७०-७१ नारकी जीवोंका स्वरूप और इन्द्रियोंके नाम विशेषता ११५-११७ .. इन्द्रिय और मनका विषय ९८ ३७१ नारकी जीवोंके शरीरकी किन किन जीवोंके कौन कौन ऊँचाई ३८० इन्द्रिय होती है ? ३७१ नारकी जीवोंकी आयु ११७-१२१ संज्ञी जीवका स्वरूप ३७१ कौन-कौन जीव किस-किस विग्रहगतिमें जीवकी गतिका कारण ९९ नरक तक जाते हैं १२१ गतिका नियम १०० एक जीव कितने बार लगामक्तजीवकी गतिका नियम ३७२ तार नरकमें जा सकता है १२२३८१ संसारी जीवकी गतिका प्रथम आदि नरकोंसे निकलनियम और समय ३७३ कर जीव कौन-कौनसी विग्रहगतिमें जीव कितनेसमय पर्याय प्राप्त कर सकता है १२२ ३८२ तक अनाहारक रहता है १०१-१०२ ३७३ | मध्यलोकका वर्णन,द्वीप,समद्रोंके जन्मके भेद १०२ नाम विस्तार आदि १२२-१२४ ३८२ योनियोंके भेद और स्वरूप १०२ जम्बूद्वीपके आकार विस्तार किन किन जीवोंके कौन कौन आदिका वर्णन १२४-१२५ ____ ३८३ योनि होती है ३७४ | भरत आदि सात क्षेत्रोंका चौरासी लाख योनियाँ ३७४ तथा क्षेत्रवर्ती जीवोंकी किन किन जीवोंके कौन कौन आयु, वर्ण आदिका वर्णन १२५-१३० ३८३-८६ जन्म होता है १०३-१०४ दश प्रकारके कल्पवृक्षों १२६-१२७ ३८४ शरीरके भेद और स्वरूप १०४-१०५ ३७५ छह पर्वतोंके नाम, परिमाण, शरीरोंमें परस्परमें विशेषता १०५ ३७५ / वर्ण आदिका वर्णन १३०-१३१ ३८६-८७ तैजस और कार्मण शरीरको पद्म आदि छह ह्रदोंके नाम, विशेषता परिमाण, ह्रद्वर्ती कमल एक जीवके एक साथ कितने आदिका वर्णन १३२-१३३ ३८७ शरीर हो सकते हैं १०६-१०७ ३७७ , कमलोंमें रहनेवाली श्री आदि कार्मण शरीरकी विशेषता १०७ देवियोंकी आयु, परिवार किस जन्मसे कौन शरीर होता है १०७ ३७७ आदिका वर्णन १३३ ३८८ आहारक शरीरका स्वरूप गंगा आदि चौदह नदियाँ १३३-१३६ ३८८-९० और स्वामी १०८-१०९ ३७८ भरतक्षेत्रका विस्तार १३७ ३९० 'किन किन जीवोंके कौन कौन अन्य क्षेत्रोंका विस्तार १३७-१३८ ३९०-३९१ लिंग होता है ३७८ भरत और ऐरावत क्षेत्रमें किन किन जीवोंका अकाल कालचक्रके अनुसार मनुष्यों मरण नहीं होता है ११० ३७८, की आयु आदिकी वृद्धि और - तृतीय अध्याय हानिका वर्णन १३८-१४२ ३९१ नरकोंके नाम, वातवलयोंका चौदह कुलकरोंके कार्य १३९-१४० ३९१-९२ or mr m - ३७७ For Private And Personal Use Only
SR No.010564
Book TitleTattvartha Vrutti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendramuni
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1949
Total Pages661
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Tattvartha Sutra, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy