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५. २५.] पुद्गलों के भेद
२३७ भी बनते हैं तथा परमाणु और स्कन्ध के संश्लेष से या विविध स्कन्धों के संश्लेष से भी बनते हैं इसलिये अन्त्य स्कन्ध के सिवा शेष सव स्कन्ध परस्पर कार्य भी हैं और कारण भी। जिन स्कन्धों से बनते हैं उनके कार्य हैं और जिन्हें बनाते हैं उनके कारण भी।
इन अणु स्कन्ध रूप पुद्गल के मुख्यतः छह भेद किये गये हैंस्थूलस्थूल, स्थूल, स्थूलसूक्ष्म, सूक्ष्मस्थूल, सूक्ष्म और सूक्ष्मसूक्ष्म ।
(१) स्थूलस्थूल-ठोस पदार्थ जिनका आकार, प्रमाण और धनफल नहीं बदलता। जैसे लकड़ी, पत्थर और धातु आदि।
(२) स्थूल-द्रव पदार्थ, जिनका केवल आकार बदलता है घनफल नहीं। जैसे जल और तेल आदि। ये पदार्थ जम जाने पर ठोस हो जाते हैं तब इनका अन्तर्भाव स्थूलस्थूल इस भेद में होता।
(३) स्थूलसूक्ष्म-जो केवल नेत्र इन्द्रिय से गृहीत हो सकें और जिनका आकार भी बने किन्तु पकड़ में न आवें वे स्थूलसूक्ष्म पुद्गल हैं। जैसे छाया, प्रकाश अन्धकार आदि ऊर्जाएँ ( Energy)
(४) सूक्ष्मस्थूल-जो दिखाई तो न दें किन्तु स्पर्शन, रसना, प्राण और श्रोत्र इन्द्रियों के द्वारा जिन्हें ग्रहण किया जा सके वे सूक्ष्मस्थूल पुद्गल हैं। जैसे ताप ध्वनि आदि ऊर्जाएँ व वायु।
वर्गीकरण में ऊर्जा के अनन्तर वातियों को रखा गया है। भार ( Weight ) की दृष्टि से वातिएँ ऊर्जा की अपेक्षा अधिक स्थूल हैं किन्तु वर्गीकरण का आधार घनत्व ( Dansity ) न होकर दृष्टिगोचर होना या न होना है। प्रकाश, विजली आदि ऊर्जाऐं आंखों से दीखती हैं वातिएँ नहीं। इस प्रकार दृश्य और अदृश्य की अपेक्षा इनका वर्गीकरण किया गया है।
(५) सूक्ष्म-स्कन्ध होने पर भी जिनका किसी भी इन्द्रिय द्वारा ग्रहण करना शक्य नहीं है वे सूक्ष्म पुद्गल हैं। जैसे कर्मवर्गणा आदि । द्वथणुक आदि का इसी भेद में अन्तर्भाव हो जाता है।