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________________ ५. २३-२४.] पुद्गल का लक्षण और उसकी पर्याय २३१ भापात्मक अभापात्मक अक्षरात्मक अनक्षरात्मक प्रायोगिक स्रसिक - तत वितत धन सुपिर आधुनिक विज्ञान शब्द ( Sound ) को दो भागों में विभक्त करता है-कोलाहल ( Noises ) और संगीत ध्वनि ( Musical Sound )। इनमें से कोलाहल वैनसिक वर्ग में गर्भित हो जाता है। संगीत ध्वनियों का उद्भव चार प्रकार से माना गया है(१) तन्त्रों के कम्पन ( Vibration of strings) से, (२) तनन के कम्पन ( Vibration of membranes ) से, (३) दण्ड और पट्टिका के कम्पन ( Vibration of rods and plates ) से और (४) जिह्वाल ( reads ) के कम्पन से व वायुप्रतर के कम्पन ( Vibration of air columns) से । यह चारों क्रमशः प्रायोगिक के वितत, तत, घन और सौषिर भेद हैं। ___ परस्पर श्लेषरूप बन्ध के वैनसिक और प्रायोगिक ये दो भेद हैं। प्रयत्न के बिना विजली, मेघ, अग्नि और इन्द्र धनुष आदि सम्बन्धी जो स्निग्ध और रूक्षत्व गुणनिमित्तक बन्ध होता है वह वैनसिक बन्ध है। प्रायोगिक बन्ध दो प्रकार का है-अजीव विषयक और जीवाजीव विषयक । लाख और लकड़ी आदि का बन्धा अजीव विषयक प्रायोगिक
SR No.010563
Book TitleTattvartha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchandra Jain Shastri
PublisherGaneshprasad Varni Digambar Jain Sansthan
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Tattvartha Sutra, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size39 MB
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