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आकाश का परिचय बात यह कि गुरुत्वाकर्षण का कार्यसाधक (agent) पौद्गलिक है अथवा अपौद्गलिक इस विषय में उसने कुछ नहीं कहा था।
वैज्ञानिक लोग अभी तक सूर्य, चन्द्र, ग्रह, नक्षत्रों आदि की स्थिरता का कारण और वस्तुओं के पृथिवी की ओर गिरने का कारण गुरुत्वाकर्षण मानते रहे हैं। वैज्ञानिक प्रयोगों से यह भी आभास मिला है कि गुरुत्वाकर्षण प्रकाश और अन्य विद्युत चुम्बकीय घटनाओं (electro mognetie phenomena ) से सम्बद्ध है। किन्तु अब गुरुत्वाकर्षण और विद्युत् चुम्बकीय शक्ति के कार्य के माध्यम ( medium ) स्वरूप क्षेत्र ( field ) की ओर भी वैज्ञानिकों का ध्यान गया है। हेनशॉवार्ड ने एक स्थान पर लिखा है कि हम यह नहीं समझ सकते कि बिना माध्यम के शक्ति द्वारा दूरवर्ती स्थान पर कार्य कैसे किया जा सकता है। इस प्रकार यद्यपि वैज्ञानिकों का ध्यान इस ओर गया है सही किन्तु इसके गुणों के विषय में उनका कोई निश्चित मत नहीं है। इतना अवश्य है कि जहाँ उन्होंने इसमें पौद्गलिक गुण मानने का प्रयत्न किया है वहाँ उनके मार्ग में अनेक कठिनाइयाँ आई हैं। सम्भव है कि भविष्य में वे इसको अपौद्गलिकता को स्वीकार कर लें और इस तरह गति का माध्यम ईथर की तरह स्थिति का माध्यम भी स्वीकार कर लिया जाय ।
- आकाश का परिचयजैन धर्म में बतलाये गये आकाश और वैज्ञानिकों के 'स्पेस' (space ) के सिद्धान्त में बहुत कुछ साम्य है। इसके विपय में सापेक्षवाद के आचार्य प्रोफेसर एडिंग्टन ने 'द नेचर ऑफ द फिजीकल वर्ल्ड' पुस्तक में पृष्ठ ८० पर लिखा है कि 'सापेक्षवाद के सिद्धान्त के पूर्व वैज्ञानिक लोग आकाश को सीमित मानते थे, अनन्त आकाश की किसी ने कल्पना भी न की थी। किन्तु सापेक्षवाद कहता है कि यदि आकाश सीमित है तो उसकी सीमा के बाहर क्या है, इसलिये