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सर्वार्थ
वचनि का पान
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सत्यार्थ काहेते होय ? बहुरि नैयायिकमती इंद्रियमनकै अर आत्माकै पदार्थतें सन्निकर्ष होय ताकू प्रत्यक्ष कहै हैं । सो । यह भी अयुक्त है । जाते ईश्वरकै ज्ञान इंद्रियमनतें होय तो सर्वज्ञपनां न होय । जाते इंद्रियनिक अर सर्वपदार्थनिकै २ संबंध नाही । तातें जो सूत्र प्रत्यक्षका कह्या सोही निराबाध है ॥
__ आगै, कह्या जो परोक्ष प्रत्यक्ष दोय प्रकार प्रमाण तिनिमें आदि प्रकारके विशेषकी प्राप्तिकै आर्थि सूत्र कहै हैंसिद्धि टीका
॥ मतिः स्मृतिः संज्ञा चिन्ताऽभिनिबोध इत्यनान्तरम् ॥ १३ ॥ याका अर्थ-मति स्मृति संज्ञा चिंता अभिनिवोध ए पांच अनर्थातर कहिये अन्य अर्थ नाही । मतिज्ञानहीके नाम हैं ॥ आदिविपैं कह्या जो मतिज्ञान ताके येते पर्यायशब्द कहिये नामांतर है । जातें ए सर्वही मतिज्ञानावरण कर्मके क्षयोपशमकरि उपज्या जो उपयोग ताही संबंधी हैं । इनकी श्रुतज्ञानादिविर्षे प्रवृत्ति नाही । तहां मननं कहिये मानना इंद्रियमन” अवग्रहादिरूप साक्षात् जाननां सो तौ मति कहिये । स्मृति कहिये स्मरण । जानेका पीछै यादि करना सो स्मृति स्मरण कहिये । संज्ञा संज्ञान कहिये । जानेको यादिकरि वर्तमान जानेकै जोडिकरि जाननां सो संज्ञान कहिये । याकू प्रत्यभिज्ञान भी कहिये । चिंतनं चिंता कहिये यहु चिन्ह है तहां इसका चिन्ही भी होय है इत्यादि ऐसा चितवन करनां सो चिंता कहिये । याकू तर्क भी कहिये । अभिनिबोधनं कहिये सन्मुख लिंगादि देखि लिंगी आदिका निश्चय करै सो अभिनिबोध कहिये । याकू स्वार्थानुमान भी कहिये । इनि शब्दनिका भावसाधनरूप अर्थ किया है । बहुरि करणसाधन कर्तृसाधन आदि भी यथासंभव जाननां । इनिका नामभेदते अर्थभेद होते भी रूढिके बलते मतिके नामांतरही जानने । जैसे इंद्र शक्र पुरंदर ऐसें नामभेदतै अर्थभेद होते भी समभिरूढनयकी अपेक्षातें एक इंद्रहीके नाम हैं। बहुरि इनिका अन्य अन्य अर्थ करिये तब मत्यादि अन्य अन्य होयही हैं । तथापि मतिज्ञानावरणक्षयोपशमकरि उपयोग । ताहि न उलंधि व है । इहां ऐसा अर्थ है । बहुरि सूत्रमैं इति शब्द है सो प्रकारवाची है । या मतिज्ञानका येते
पर्यायशब्द हैं ऐसा इतिका अर्थ जाननां । तथा अभिधेयार्थवाची भी कहिये । जो मति स्मृति संज्ञा चिंता अभिनिबोध १ ऐस येते शब्दनिकरि जो अर्थ कहिये सो एक मतिज्ञान है ॥
इहां विशेष कहिये है । सूत्रविर्षे इति शब्द प्रकारवाची है । सो बुद्धि तौ मतिका प्रकार जाननां । जाते पदार्थके ग्रहणके शक्तिस्वरूपकू बुद्धि कहिये है बहुरि मेधा स्मृतिका प्रकार है । जाते शब्दके स्मरणकी शक्ति मेधा कहिये है। .बहुरि प्रज्ञा चिंताका प्रकार है। जाते वितर्कपणाका निषेध स्वरूप है। बहुरि प्रतिभा उपमा ये संज्ञाका प्रकार है।
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