________________
सर्वार्थ
निका
अ
दिक करै है तिनितें शरीरवृद्धि होय है यहु नोकर्म है । तात आहारादिकरूं तद्यतिरिक्तका दूसरा भेद । नोकर्मद्रव्यजीव कहिये ॥ श बहार भावजीव भी दोय प्रकार है। तहां जीवके कथनका शास्त्रका जाननेवाला पुरुप जिस काल उस शास्त्रवि उपयोगसहित होय तारूं आगमभावजीव कहिये । विशेषापेक्षाकरि मनुष्यजीवका कथनका शास्त्रका जाननेवाला तिसविर्षे
वचसिद्धि
२ उपयोगसहित होय तव मनुष्यआगमभावजीव निक्षेप कहनां । बहुरि जीवपर्यायकरि सदाविद्यमान है सो नोआगमभावजीव टी का है। विशेषापेक्षाकरि मनुष्यजीवपर्याय विद्यमान होय तब मनुष्यनोआगमभावजीव है । ऐसे ही अन्य जीवादिपदार्थनिकै पान
निक्षेपविधि लगावणां । इहां प्रयोजन ऐसा जो लोकव्यवहारमैं कोई नामका भाव समझिजाय तथा स्थापनाकू भावादिक
जानै तौ ताकै यथार्थ समझावनै निमिति यह निक्षेपविधि है । ऐसा जाननां ॥ बहुरि सूत्रवि तत् शब्द है सो सम्यग्दर्शनादिक तथा जीवादिपदार्थ सर्वहीके ग्रहणके अर्थि है । सर्वहीपरि निक्षेप लगावणे । द्रव्यार्थिकनयतें तौ नाम स्थापना द्रव्य ए तीन निक्षेप हैं । बहुरि पर्यायार्थिकनयकरि भावनिक्षेप है ॥
आगै नामादिनिक्षेपविधिकरि थापे जे आकाररूप सम्यग्दर्शनादिक तथा जीवादिकपदार्य तिनिका यथार्थ अधिगम २ काहेतें होय है? ऐसा प्रश्न होते सूत्र कहै हैं
॥ प्रमाणनयैरधिगमः ॥ ६ ॥ याका अर्थ- प्रमाण नय इनिकरि जीवादिक पदार्थनिका अधिगम हो है ॥ नाम आदि निक्षेपविधिकार अंगीकार ? करे जे जीवादिक तिनिका यथार्थस्वरूपका ज्ञान प्रत्यक्ष परोक्ष प्रमाणकार तथा द्रव्यार्थिक पर्यायार्थिक नयनिकरि होय है। तहां प्रमाणनयनिका लक्षण तथा भेद तो आगै कहसी । तहां प्रमाण दोय प्रकार है । एक स्वार्थ एक परार्थ। तहां स्वार्थ तौ ज्ञानस्वरूप कहिये । बहुरि परार्थ वचनरूप कहिये । तामै च्यारि ज्ञान तो स्वार्थरूप हैं । बहुरि श्रुतप्रमाण || ज्ञानरूप भी है वचनरूप भी है । तातै स्वार्थपरार्थ दोऊ प्रकार है। वहरि श्रुतप्रमाणके भेद विकल्प हैं ते नय हैं। इहां कोई पूछै नयशब्दके अक्षर थोडे हैं तातै द्वंद्वसमासमैं पूर्वनिपात चाहिये । ताका उत्तर- प्रमाण प्रधान है, पूज्य है।
सर्व नय हैं ते प्रमाणके अंग हैं। जाते ऐसे कया है वस्तुको प्रमाणते ग्रहण कार बहुरि सत्त्व, असत्त्व, नित्य, अनित्य ॥ इत्यादि परिणामके विशेपते अर्थका अवधारण करना सो नय है । वहरि प्रमाण सकल धर्म अर धर्मीक विपय करै ।
है । सोही कह्या है सकलादेश तौ प्रमाणाधीन है । बहार विकलादेश नयाधीन है । तातें प्रमाणहीका पूर्वनिपात युक्त