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सर्वार्थ
टीका
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जुदा ताकू तद्व्यतिरिक्त कहिये । ताका भी कर्मनोकर्मकरि भेद दोय । तहां जिस वस्तूका निक्षेप करिये ताका व्याख्या- 15 नका शास्त्रका जाननेवाले पुरुपका शरीर वर्तमानकू भी वाका निक्षेप कहिये; बहुरि आगामी जेते काल रहेगा ताकू भी कहिये, बहुरि जीवपर्याय छोडे पीछे मृतकशरीर है ताकू भी कहिये । जाते लोकमें ऐसा व्यवहार है जो मृतकशरीरकू भी कहै जो यह फलाणां पुरुप है । बहुरि जा वस्तूका निक्षेप करिये ताहीकू अगली पर्यायकी अपेक्षा लेय पहले ही
वचकहिये जो यह फलाणा वस्तु है ताकू भाविनोआगमद्रव्यनिक्षेप कहिये । बहार जाका निक्षेप करिये ताका कारण ज्ञाना- निका वरणादि द्रव्यकर्म• ताका तयतिरिक्त कर्मद्रव्यनिक्षेप कहिये । बहुरि आहारादि पुद्गलके स्कंध जे शरीरादिरूप परिणवनेकू पान बाह्यकारण तिनिकू तयतिरिक्त नोकर्मद्रव्यानेक्षेप कहिये ॥
बहुरि वर्तमान जिस पर्यायकरि रहित जो द्रव्य होय तारूं भावनिक्षेप कहिये । ताके दोय भेद; एक आगमभाव, एक नोआगमभाव । तहां जा वस्तूका निक्षेप करिये ताका कथनका शास्त्रका जाननेवाला पुरुषका जिस काल वा शास्त्रवि उपयोग होय तिस काल वा वस्तूका आगमभावनिक्षेप वा पुरुषकों कहिये ॥ बहुरि जो वस्तु जिस पर्यायवि वर्तमानकालमैं है ताकू नोआगमभावनिक्षेप कहिये । इहां उदाहरण कहिये हैं। जैसे जीव ऐसा शब्दका अर्थ स्थापिये तहां जीवनगुणादिककी अपेक्षा विना अजीवका किसीका नाम जीव ऐसा कहिये ताकू जीवका नामनिक्षेप कहिये । तथा जीवके विशेपपर्यायकरि लगाईये तब मनुष्यादि जीवनिक्षेप कहिये । बहुरि काष्ठचित्रामादिक मूर्तिविर्षे जीव ऐसा तथा मनुष्यादिजीव
मा सो स्थापनाजीव है । बहुरि द्रव्यजीव दोय प्रकार । तहां जीवके कथनका शास्त्र जाननेवाला पुरुष । तिस शास्त्रवि उपयोगरहित होय ताकू आगमद्रव्यजीवनिक्षेप कहिये ॥ ___ बहुरि नोआगमद्रव्यजीव तीन प्रकार । तहां जीवके कथनके शास्त्रकू जाननेवाला पुरुषका शरीर भूत, भविष्य, वर्तमान तीन प्रकारकू नोआगमद्रव्यका पहला भेद ज्ञायकशरीर नोआगमद्रव्यजीव कहिये । तथा मनुष्यजीवादिकका भी ऐसै ही जाननां । बहुरि सामान्यजीव नोआगमभाविद्रव्य तो है ही नाही । जाते जीवनभावकरि सदा विद्यमान है। बहुरि । विशेप अपेक्षा मनुष्यादि भाविनोआगमद्रव्यजीवकरि लगाईये । तहां कोई जीव मनुष्यपर्यायवि देव आयुकर्म बांध्या, तहां 6] अवश्य देव होयगा । तहां मनुष्यपर्यायविर्षे ही देव कहनां ताळू भाविनोआगमदेवजीव कहिये । बहुरि तयतिरिक्तके भेद |
दोय । तहां सामान्यजीवअपेक्षा तो किसी कर्मकै उदयते जीव होतां नाही । बहुरि विशेषजीवअपेक्षा मनुष्यनामा | नामकर्मके द्रव्यकू मनुष्यनाम तयतिरिक्त नोआगमद्रव्यमनुष्यजीव कहिये सो तयतिरिक्तका भेद है । बहुरि मनुष्य आहारा