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है ऐसी भावना राखणी ॥ ऐसें हिंसादिक पंचपापनिविर्षे ऐसी भावना करणी ॥ आगैं, इन हिंसादिकनिविर्षे अन्यभावना राखणी, ताके कहनेकू सूत्र कहै हैं--
॥ दुःखमेव वा ॥ १०॥ मा याका अर्थ हिंसा आदि पांच पाप हैं, ते दुःखरूपही हैं, ऐसी भावना राखणी । इहां पूछे हैं, हिंसादिक दुःख कैसे AIRAT
हैं ? ताका समाधान, जाते ए हिंसादिक हैं ते दुःखके कारण हैं। जैसे अन्न है सो प्राणनिकी रक्षा करै है, ताते कारण
हैं । तहां कहिये, अन्न है सोही प्राण है, ऐसे कारणकू कार्य कहसी । तैसें हिंसादिक दुःखके कारण हैं, तिनकू दुःखही 16ा है ऐसे कहना । इहां कारणविर्षे कार्यका उपचार है । बहुरि कारणका कारण होय ताकू भी कार्यही कहिये है । तैसें l २ अन्न तौ प्राणका कारण अरु धन है सो अन्नपानका कारण है। तहां धन है सोही प्राण है, ऐसे कहते कारणके । | कारणवि कार्यका उपचार होय है। तैसें हिंसादिक कहै ते असातावेदनीय आदि अशुभकर्मके कारण हैं । बहुरि असातावेदनीयआदि कर्म दुःखके कारण हैं । ऐसें दुःखके कारणवि तथा दुःखके कारणके कारणविर्षे दुःखका उपचार जानना । सो ए हिंसादिक पाप दुःखही हैं, ऐसी भावना राखणी ॥
___ बहुरि जैसे आपके दुःखके कारण हैं, तैसेंही परकेविर्षे भी जानना । बहुरि इहां तर्क, जो, ते सर्वही दुःख कहे सो । नाहीं है । जाते विपयनिके सेवनेवि सुख देखिये हैं । ताका समाधान, जो, विषय सेवनेविर्षे सुख मानै है, सो सुख |
नाहीं है । विषयनिकी इच्छा नामा वेदना पीडा उपजै है, ताका इलाज प्राणी कर है । जैसे खाजिका दुःख होय ताकू खुजावै, तब सुख माने है, परमार्थतें खुजावनेवि सुख नाहीं, सुखका स्वरूप तौ आकुलतारहित है, सो विपय सेवनेमें तो आकुलताही है, निराकुलपणा तो होय नाही ॥ ___ इहां विशेष जो, जैसे आपके भावै तैसैं परकै भी भावै, सो कैसे ? जैसैं वध बंधन पीडन मोकू बुरे लागे हैं, दुःख उपजावै, तैसें परके भी दुःख उपजावै हैं । तथा जैसे माकू कोई झूट कहै कडी कहै कठोर कहै सो बुरी लागै है,
दुःख उपजावै है, तैसे परकू मैं कहूं तो ताकू बुरी लागै है, दुःख उपजावै है । तथा जैसे मेरा धनादिक जाय तब मेरे । 1 बडा कष्ट दुःख उपजै है, तैसेही अन्यजीवकै उपजै है । तथा मेरी स्त्रीका अपमान करै तब मेरै जैसे दुःख पीडा उपजै; । तैसें अन्यजीवकै भी दुःख उपजै है । तथा मेरै धनकी प्राप्तिवि4 वांछा तथा याके नाशविर्षे शोक होय है, त। परकै भी कप्ट होय है । ऐसें हिंसादिक परकै भी दुःखके कारण जानना ॥
नाता है । विषयनिकी है, परमार्थत खुजा
| तैसे अन्यजीवकै मातही अन्यजीवकै उपजै है। दुख उपजावै है । तथा जैसे मशार कहै सो बुरी लागे हैं,