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पर्यायसहितपणा दूजा लक्षण कया है । सो यह लक्षण न कहिये तो द्रव्यनिके गुणपर्याय न्यारे न्यारे हैं, ते द्रव्य न ठहरै, तब सर्वथा सत्ही द्रव्य ठहरै । चेतन अचेतन आदि द्रव्यनिका लोप होय, तव संसार मोक्ष आदि व्यवहारका भी लोप होय, तातै दूजा लक्षण युक्त है । तिसही लक्षणते अशुद्धद्रव्यकी सिद्धि है । जाते सत् द्रव्य दूसर विशेषणसहित
भया, तब दूसरेके मिलापते अशुद्धता भई । जैसे सत् था सो चेतनतासहित तथा अचेतनतासहित कह्या, तब सत्के माय मिति
अशुद्धता आई ऐसा अशुद्धद्रव्य भी कहिये, इत्यादि स्याद्वादकरि सिद्ध होय है, सो वार्तिकतें जानना ॥ यो का बहुरि अन्यमती द्रव्यलक्षण अन्यथा कल्पै हैं । केई तो क्रियादानपणा द्रव्यका लक्षण कहै हैं । सो आकाशविर्षे म.५ । क्रिया नाही, तिनकै द्रव्यपणा न ठहरै । बहुरि केई समवायिकारणपणा लक्षण कहै हैं सो भी गुणकर्मकेविपें पाईये है ।
तब ते गुणकर्म भी द्रव्य न ठहरै । बहुरि कोई गुणवानपणा होते क्रियावानपणा समवायिकारणपणा लक्षण कहै है। सो यह तौ गुणवानपणा कहनेतेही आय गया । क्रियावान्पणा कहना आदि नियोजन है । बहुरि अनेकान्तका आश्रय ले विवक्षातें कछु कहै तो निर्दोषही है । स्याद्वादका आश्रय लिये विवाद नाहीं है । बहुरि द्रव्यविर्षे क्रमवर्ती अनेक धर्म हैं, तथा तिन सर्व क्रमवर्ती धर्मनिकीसाथि वर्तते अनेक धर्म हैं, तथा कालभेद न करिये तब सर्वकालमें एकही द्रव्य सहवती क्रमवती धर्मनिस्वरूप एककाल है । ऐसें इस लक्षण करनेते सदानेकान्त क्रमानेकांत क्रमाक्रमानेकांत भली भांति सिद्ध होय है ॥
आगे कहे जे पांच द्रव्य तिनके लक्षणनिर्देश करनेतें पांचही द्रव्यका निश्चयका प्रसंग आवै है, तातें छठा द्रव्य न कया, ताके सूचनेके अर्थि सूत्र कहे हैं
॥ कालश्च ॥ ३९॥ याका अर्थ- काल हैं सो भी द्रव्य है । इहां द्रव्य है ऐसा वाक्यशेप है । इस कालविर्षे भी द्रव्यका लक्षण है। याते द्रव्य है । द्रव्यका लक्षण दोयप्रकार कह्या है । सद्रव्यलक्षणं उत्पादव्ययध्रौव्ययुक्तं सत् ऐसा तथा गुणपर्ययवद्रव्यं ऐसा दोऊही लक्षण कालके विद्यमान है । तहां प्रथम तौ ध्रौव्यपणा कालके है । जाते स्वभावहीते व्यवस्थिति है । सो ध्रौव्यपणा स्वकारणकृत है, काहू अन्यका किया नांही । बहुरि व्यय उत्पाद ये दोऊ अगुरुलघुगुणकी हानिवृद्धिकी अपेक्षाने स्वभावकृतही है । बहुरि परद्रव्यके परिणामनिकी अपेक्षा परकृत भी हैं । बहुरि गुण साधारण तथा असाधारण दोऊही कालके हैं। तहां असाधारणता सर्वव्यनिपरि वर्तनाहेतुपणा हैं.। अर साधारण अचेतनपणा अमूर्तिकपणा सूक्ष्मपणा