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सर्वार्थ
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वचनिका पान
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॥ दशयोजनावगाहः॥ १६ ॥ याका अर्थ-- पद्महूदकी उंडाई दश योजन है ॥ आगै, तिस हृदवि कमल है, ताका सूत्र कहै हैं
॥ तन्मध्ये योजनं पुष्करम् ॥ १७ ॥ याका अर्थ- या ह्रदमैं एक योजन प्रमाण कमल है। तामें कोश कोशके लंबे तो पत्र हैं । वहुरि दोय कोशके चौडी वीचिकी कर्णिका है । बहुरि जलके तलते दोय कोश उंचा नाल है । बहुरि एताही पत्रनिकी मोटाई है ॥ ___ आर्गे अन्य इदनिकी लंबाई चौडाई तथा कमलकी लंबाई चौडाई जनावनेके अर्थि सूत्र कहै हैं
॥ तद्विगुणद्विगुणा ह्रदाः पुष्कराणि च ॥ १८॥ ___याका अर्थ- पहले हुदतें तथा कमलते दूणे दूणे लंबाई चौडाई रूप अगिले अगिले ह्रद तथा कमल जाननां ॥ तहां पद्महूदतें दूणा दोयहजार योजन लंवा हजार योजन चौडा वीस योजन ऊंडा महापद्महुद जाननां । बहुरि यातें दूणा च्यारिहजार योजन लंवा दोयहजार योजन चौडा चालिस योजन ऊंडा तिगिंछहूद जानना । याही भांति कमल च्यारि योजन लंवा दोय योजनका चौडा आदि जाननां ॥ ___ आगे तिनि कमलनिवि निवास करनेवाली देवीनिके नाम आयु परिवार प्रतिपादनेकै अर्थ सूत्र कहै है--
॥ तन्निवासिन्यो देव्यः श्रीहीधृतिकीर्तिबुद्धिलक्ष्म्यः
पल्योपमस्थितयः ससामानिकपरिषत्काः ॥ १९ ॥ याका अर्थ- तिनि कमलनिकी कर्णिकाके मध्यदेशके वि शरदके निर्मल पूर्ण चंद्रमाकी द्युतिके जीतनहारे कोश लंवे अर्ध कोश चौडे कछु घाटि कोशके ऊंचे महल हैं। तिनिवि निवास करनेवाली देवी हैं श्री ही धृति कीर्ति बुद्धि लक्ष्मी ए हैं नाम जिनिके ते वसै हैं । तिनिकी एक एक पल्यकी आयु है । बहुरि सामानिक जातिके देव बहुरि पारिपद