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16 तीन पृथिवीवि असुर बाधा करै हैं । आगै चौथी पांचई छठी सातईविर्षे इनिका गमन नाही । इहां कोई पूछे, ए || । देव इनि नारकीनिळू दुःख दे हैं, सो इनिका कहा प्रयोजन है ? । तहां कहिये, जो, ए देव ऐसैही पापकर्ममें लीन हैं । 21
जैसे इहां कोई मीडे असे कूकडे तीतर मल्ल इनिळू लडाय कलह देखि हर्ष मानै हैं; तैसें नारकीनिकी कलह दुःख देखि २
अति हर्प मान हैं । ए यद्यपि देव भये हैं तथापि निदानादिकार अज्ञानतपके फलते इनिळू परका दुःख आदि अशुSED भही हर्पका कारण हो है । बहरि च शब्द है सो पहले सूत्र में कह्या जो दुःख, ताकै समुच्चयकै अर्थि है। तीन तपाया सर्वार्थ
कि गाल्या जो लोह ताम्र ताकौ पायवाकार, बहुरि तपाया लोहका स्तंभते चेपनां, बहुरि कूटशाल्मली कहिये सूली तापरि चढाय उतारणा, बहुरि लोहके घनका घात करना, कुहाडी छुराव सोलाते काटणां छोलणां, बहुरि क्षारा पाणी तथा तपे १५३
तेलते सींचनां, बहुरि लोहके कडाहमैं पचावनां, भांडमें भूदनां, बहुरि भोभलीमें भुलसनां, बहुरि वैतरणी नदीमें डुबोवनां, १ घाणीमें पीलना इत्यादिकनिकरि नारकीनिकू दुःख उपजावै हैं । ऐसें छेदनभेदनादिकरि शरीर खंड खंड होय जाय है। तो भी आयु पूर्ण हूवा विना मरण नांही होय है । जातें नारकीनिका आयु अनपवर्त्य कह्या है, सो छिदै नांहो ॥
आगें पूछे है, “जो इनि नारकीनिकी आयु छिदै नांही सो आयुका परिमाण केता है सो कही" ऐसे पूछ सूत्र कहै हैं
॥ तेष्वेकत्रिसप्तदशसप्तदशद्वाविंशतित्रयस्त्रिंशत्सागरोपमा सत्त्वानां परा स्थितिः ॥ ६॥
याका अर्थ- नरकके जीवनिकी आयू उत्कृष्ट पहली पृथिवीमें तौ एक सागरकी, दूसरीमें तीन सागर, तीसरीमें सात सागर, चौथीमें दश सागर, पांचमीमै सतरा सागर' छठीमैं वाईस सागर, सातमीमें तेतीस सागर ऐसे हैं ॥ इहां यथाक्रम शब्दकी तौ ऊपरीतैं अनुवृत्ति है । तिनि भूमिनिवि अनुक्रमकार यथासंख्य स्थिति लगावणी । तहां रत्नप्रभाविपैं तो उत्कृष्ट स्थिति एक सागरकी है । शर्कराप्रभाविर्षे तीन सागरकी है । वालुकाप्रभावि सात सागरकी है। पंकप्रभावि दश सागरकी है । धूमप्रभावि. सतरा सागरकी है । तमःप्रभावि4 बाईस सागरकी है । महातमःप्रभावि तेतीस सागरकी है। ऐसी उत्कृष्ट स्थिति है। तिनि भूमिनिवि नारकी जीवनिकी आयु है, भूमीकी स्थिति यहु नांही है ॥
आगें कहै हैं, सातभूमिरूप विस्तारकू धरै अधोलोक तौ कह्या । अब तिर्यक् लोक कह्या चाहिये । सो तिर्यक् | लोक ऐसा नाम कैसै हैं ? जाते स्वयंभूरमण समुद्रपर्यत असंख्यात तिर्यक्प्रचयरूप अवस्थित द्वीप समुद्र हैं । तातें तिर्यक् लोक नाम है । इहां पूछे है, ते द्वीप समुद्र तिर्यक् अवस्थित कौन कौन हैं ? ऐसे पूछ सूत्र कहै हैं