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और उनके सिद्धान्त ।
प्रभुजी वहां पहुंचकर अपनी ब्रह्मवादकी चर्चाको छेड देते! काशी का ऐसा कोईमी घर या रास्ता नहीं था जहां महाप्रभुजीके ब्रह्मवाद की ही चर्चा न हो रही हो। सव काशी मानो ब्रह्मवाद से पूर्ण हो चुकी थी। ___ काशीजी में जब आपने अपने ब्रह्मवादका प्रभाव जमा दिया और क्या विद्वान् और क्या नगरवासी सब जब आपकी विद्वत्ता के प्रभाव से प्रभावित हो चुके तव आफ्ने अपने इस ब्रह्मवादको समस्त भारतवर्ष में फैलानेका निश्चय किया । किन्तु यह निश्चय जब तक आप भारतवर्षमें सर्वत्र न घूमें तब तक पार नहीं पड सकता था इसी लिये आपने अपने ब्रह्मवाद या पुष्टिमार्गको सर्वमान्य करनेके लिये पृथ्वी प्रदक्षिणा करने का निश्चय किया । इस निश्चय के अनुसार आप काशीजीसे व्यंकटगिरि गये । आपने वहां पर श्रीलक्ष्मणवालाजीके दर्शन किये तथा थोडे दिन वहां ही विश्राम भी किया । किन्तु यह समयभी आपने अपनी अपूर्व बुद्धिमानीके प्रभाव से खाली जाने नहीं दिया । आपने वहां के पुस्तकालयको इस वीच खूब देखा। तथा भक्ति विषयक यावद्ग्रन्थों का आपने वहां ही अवलोकन भी किया। सौभाग्यवश इसी अवसर पर आपने सुना कि तुङ्गमद्रानदी पर स्थित वलवान् हिन्दू राज्य विजयनगर के राजा श्रीकृष्णदेवरायने एक धर्मसंबंधी महत्परिषद् का आयोजन किया