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________________ २२ श्रीमद्वल्लभाचार्य किन्तु जिसके ऊपर प्रभुका अनुग्रह होता है प्रभु उसे अपने गुण देते हैं । किसीको एक गुण देते हैं किसीको दस पांच । प्रभुका एक एक गुण भी मनुष्यको बड़ा महत्व देनेवाला और उद्धार कर देनेवाला होता है । हरिश्चन्द्र राजामें सत्य एकही गुण सर्वप्रधान था। ___ भगवान् के उतरनेसे भी भगवद्गुण आते हैं । 'योन्तर्वहिस्तनुभृतामशुभं विधुन्वन्नाचार्यचैत्यवपुषा स्वगतिं व्यनक्ति' वचनके अनुसार आचार्य प्रभुका अवतार हैं । आचार्यरूपसे प्रभु अवतार लेते हैं । नृसिंहावतार में वपुको कारणता नही है व्यापारता है । किन्तु आचार्यमें वपुको हेतुता है । इसलिये उस अवस्थामें वैध आचार्यताही प्रकट रहती है । भगवत्ता गूढ है । आचार्यमें भगवत्त्वभी होनेसे श्रीमद्वल्लभाचार्यश्रीमें भी अनेक भगवद्गुण हैं । 'सत्यं शौचं०' इत्यादि । ___ सत्य भगवद्गुण है । जिसमें सत्य रहना है वह निर्भय देखनेमें आता है । अभय दैवी संपत्की पहली संपत् है । श्रीमद्वल्लभाचार्य ने जितना लिखा है सत्य लिखा है आचार्यश्रीमें मनसा वचसा कर्मणा सत्य है । यह उनके ग्रंथोंको विचारपूर्वक, देखनेवालोंको स्पष्ट मालुम पड़ेगा । आपने कहा है कि वैदिक साधन यद्यपि जीवोद्धार करनेवाले हैं तथापि अधिकार और कालसे प्रतिबद्ध हैं। जिनको वैदिक साधनोंका अधिकारही नहीं है उनका उद्धार कैसे हो सक्ता
SR No.010555
Book TitleVallabhacharya aur Unke Siddhanta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVajranath Sharma
PublisherVajranath Sharma
Publication Year
Total Pages405
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationInterfaith & Hinduism
File Size10 MB
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