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श्रीमद्वल्लभाचार्य किन्तु जिसके ऊपर प्रभुका अनुग्रह होता है प्रभु उसे अपने गुण देते हैं । किसीको एक गुण देते हैं किसीको दस पांच । प्रभुका एक एक गुण भी मनुष्यको बड़ा महत्व देनेवाला और उद्धार कर देनेवाला होता है । हरिश्चन्द्र राजामें सत्य एकही गुण सर्वप्रधान था। ___ भगवान् के उतरनेसे भी भगवद्गुण आते हैं । 'योन्तर्वहिस्तनुभृतामशुभं विधुन्वन्नाचार्यचैत्यवपुषा स्वगतिं व्यनक्ति' वचनके अनुसार आचार्य प्रभुका अवतार हैं । आचार्यरूपसे प्रभु अवतार लेते हैं । नृसिंहावतार में वपुको कारणता नही है व्यापारता है । किन्तु आचार्यमें वपुको हेतुता है । इसलिये उस अवस्थामें वैध आचार्यताही प्रकट रहती है । भगवत्ता गूढ है । आचार्यमें भगवत्त्वभी होनेसे श्रीमद्वल्लभाचार्यश्रीमें भी अनेक भगवद्गुण हैं । 'सत्यं शौचं०' इत्यादि । ___ सत्य भगवद्गुण है । जिसमें सत्य रहना है वह निर्भय देखनेमें आता है । अभय दैवी संपत्की पहली संपत् है । श्रीमद्वल्लभाचार्य ने जितना लिखा है सत्य लिखा है आचार्यश्रीमें मनसा वचसा कर्मणा सत्य है । यह उनके ग्रंथोंको विचारपूर्वक, देखनेवालोंको स्पष्ट मालुम पड़ेगा । आपने कहा है कि वैदिक साधन यद्यपि जीवोद्धार करनेवाले हैं तथापि अधिकार और कालसे प्रतिबद्ध हैं। जिनको वैदिक साधनोंका अधिकारही नहीं है उनका उद्धार कैसे हो सक्ता