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________________ और उनके सिद्धान्त। नहीं यह विद्वान् लोग स्वय विचार कर लें । विशेष विवो___ चन हम सन्यास शब्दके प्रवचनमें करेंगे। ८-तौ यह सिद्ध हुआ कि ब्राह्मण हो तो क्या कहना है, सर्वश्रेष्ठ है । अन्यथा ब्राह्मण वा क्षत्रिय, ब्रह्मचारी ग्रहस्थ वा वानप्रस्य हो और वेद शास्त्रोंका एक वैदिक सिद्धान्तमें समन्वय करता हुआ वेदशास्त्रोक्त आचारोंका स्वयं पालन करता हो और लोकसे पालन कराता हो वह पुरायुगमे आचार्य कहाजाता था। ९-यह तौ आचार्यशब्दका अर्थ हुआ । अब यह दिखाना है कि भारतवर्षमें आचार्यका मान कितनाथा । ___ यह सर्वत्र भारतमें मान्यता अबतक विद्यमान है कि आचार्य दूसरा भगवान् है। मान्यताही नहीं, वेदशास्त्र में वचनमी ऐसे हैं वेदमें कहाहै 'आचार्यदेवो भवः अर्थात् आचार्य ही भगवान् है जिसका, ऐसा हे शिष्य, तू हो' 'आचार्य मां विजानीयात्' 'वेदवेदाङ्गज्ञाता और अध्यापयित आचार्यको मेरा ( श्रीकृष्णका ) स्वरूप समझे 'आचार्य चैत्यवपुषा स्वगतिं व्यनक्ति' 'प्रभु आचार्य स्वरूपमें प्रकट होकर अपने स्वरूपका अपने माहास्यका लोकको ज्ञान कराते है'। युक्ति और अनुभव से भी यह सिद्ध होता है कि यदि शिष्य गुरुको सर्वोच्च मान
SR No.010555
Book TitleVallabhacharya aur Unke Siddhanta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVajranath Sharma
PublisherVajranath Sharma
Publication Year
Total Pages405
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationInterfaith & Hinduism
File Size10 MB
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