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और उनके सिद्धान्त ।
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श्रीनाथजी के अतिरिक्त आप के यहां श्री गुसाईजी द्वारा सेवित श्रीनवनीत प्रियाजी का स्वरुप भी विराजमान है ।
इस प्रधान पीठ के अतिरिक्त संप्रदाय में सात पीठ और हैं। ये सब भी सर्वत्र पूज्य हैं।
प्रथम पीठ-संप्रदाय का प्रथम पीठ श्रीमथुरेशजी का है। यह पीठ कोटा में है। इस पीठ के आजकल अधीश्वर गोश्रीद्वारकेशलालजी महाराज हैं।
द्वितीय पीठ-नाथद्वार में विराजमान श्रीविठ्ठलनाथजी का पीठ, संप्रदाय मे द्वितीय पीठ है। इस पीठ के अधीश्वर श्रीगोपेश्वरलालजी महाराज अभी अकाल में ही गोलोकवासी हुए हैं।
तृतीय पीठ-कांकरोली नरेश श्रीब्रजभूषणलालजी महाराज तृतीय पीठाधीश्वर हैं । आप ही उदयपुर के राणा के गुरु हैं । आप की सृष्टि गुजरात मे बहुत है । इन के सेव्य श्रीद्वारकाधीशजी हैं। ___ चतुर्थ पीठ-इस पीठ के अधीश्वर सुप्रसिद्ध श्रीदेवकीनन्दनजी महाराज के सुयोग्य आत्मज श्रीवल्लभलालजी महाराज हैं। यहांश्रीगोकुलनाथजी का स्वरूप विराजमान है। __पंचम पीठ-इस पीठ के अधीश्वर भी श्रीवल्लमलालजी महाराज हैं। यहां आप के मस्तक पर श्रीगोकुलचन्द्रमाजी का स्वरूप विराजमान है। षष्ठ पीठ-संप्रदाय के छठे घर के विषय में चिर काल