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श्रीमहाप्रभुकी उत्तमोत्तम
शिक्षायें
१-वैष्णव को, भगवान् श्रीकृष्णको सर्वसमर्थ ईश्वर मान कर केवल उनका ही आश्रय करना चाहिये । अन्याश्रय कमी न करे।क्यों कि अन्य देवता गणितानन्द (गीना जा सके ऐसा सुख, क्षणभङ्गु ) देनेवाले हैं उनकी सामर्थ्य ही नहीं है कि वे कुछ अधिक दे सकें । इस से मालिक को छोडकर उनके अधिकारी वर्गीकी सेवा करना अज्ञानता है।
२-प्रत्येक वैष्णव की इच्छा परब्रह्म प्राप्तिकी होनी चाहिये । यह प्राप्ति भगवत्सेवा द्वारा संभव है इस लिये निष्काम हो कर भगवान् की आराधना करे । कपट कभी न रक्खे।
३-वेदोंपर अटल विश्वास रक्खे, क्योंकि इस में प्रभु का स्वरुप रक्षित है । इसी प्रकार श्रीमद्भागवत की भी सेवा करे।
४-श्रीकृष्ण पर अटल विश्वास रख उनकी सेवा करे । सेवा में मन सर्वथा एकाग्र खखे । मानसी सेवा उत्तम है इस की सिद्धि के लिये तनुजा और वित्तजा सेवा हैं।