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वैष्णवों के कर्तव्य
१-भगवान् श्रीकृष्ण की सेवा करना, उनकी भक्ति करना और उनमें एकतान मन प्राण हो जाना वैष्णवों का परम धर्म और कर्तव्य है।
श्रीमद्भागवत में कहा हैस वै पुंसां परो धर्मो यतो भक्तिरधोक्षजे। अहैतुक्यप्रतिहता ययात्मा संप्रसीदति ॥
अर्थात्-मनुष्यों का सब से परमोत्कृष्ट वही धर्म है जिससे भगवान् श्रीकृष्ण की भक्ति हो और जिसमें भगवान् पर प्रीति बढती रहे।
श्रीमद्वलभाचार्य ने भी आज्ञा की हैसर्वदा सर्वभावेन भजनीयो व्रजाधिपः । स्वस्यायमेव धर्मो हि नान्यः कापि कदाचन ।।
अर्थात्-सर्वदा सर्वभावनाओं से श्रीयशोदोत्संगलालित श्रीकृष्ण की सेवा करना वैष्णवों का परम धर्म है । कोई समय में और किसी समय में भी किसी प्रकार का अन्य धर्म वैष्णवों का नहीं हो सकता ।