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________________ और उनके सिद्धान्त । २०५ रिक्त संप्रदाय की व्यापकता का कारण यह था कि अपने सद्वादयुक्त विद्वन्मण्डन, भक्तिहंस, भक्ति हेतु निर्णय आदि ऐसे विद्वत्ता पूर्ण ग्रन्थों की रचना की जिस से मतान्तर के विद्वानों पर भी इनका खूब असर पड़ा। ___ शास्त्रोक्त विधिका अनुसरण कर श्रीमहाप्रभुजी ने काशी के समीपस्थ चुनारगढ में दोनों कुमारों का श्री विठ्ठलनाथजी एवं श्री गोपीनाथजी का, यज्ञोपवीत महोत्सव किया था। यज्ञोपवीत संस्कार के अनन्तर काशी के मधुसूदन सरस्वती नामक प्रसिद्ध सन्यासी के पास विद्याध्ययन की आज्ञा श्रीमहाप्रभुजी ने विठ्ठलनाथजी को दी थी।-पु. मा. इ. । __श्रीविठ्ठलनाथजी ने अपनी कुशाग्र बुद्धि के द्वारा वेद एवं वेदाङ्गो का अध्ययन अपनी स्वल्पावस्था में ही समाप्त प्राय कर दिया था। किन्तु आपको अपने अध्ययन काल ही में पितृवियोग सहन करना पड़ा था। आचार्य चरण के आसुर व्यामोह के अनन्तर आप अडेल में आकर विराजे । वहां ही प्रभु की सेवा में अपना काल यापन करने लगे । आगत जिज्ञासु वैष्णवों को अपने वचनामृतो का आस्वादन करा कर कृतकृत्य करते । शास्त्रार्थ के अर्थ आनेवाले पण्डितराजों से शास्त्रार्य कर उन्हें अपनी अप्रतिम विद्याबुद्धि से पराजित करते । अनेक पंडित आपत्री
SR No.010555
Book TitleVallabhacharya aur Unke Siddhanta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVajranath Sharma
PublisherVajranath Sharma
Publication Year
Total Pages405
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationInterfaith & Hinduism
File Size10 MB
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