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२०४ श्रीमद्वल्लभाचार्य श्रीमहाप्रभुजी के यहां पुत्र होकर जन्म ग्रहण किया था। आपके अग्रज श्रीगोपीनाथजी बडे विद्वान् और अनन्य भक्त थे । दुःख की बात है आप का वंश चला नहीं । वर्तमान् समस्त गोस्वामी बालक श्रीविठ्ठलनाथजी के वंशज हैं। ___ आपकी बालावस्था अपने पिता की सुशीतल छाया में व्यतीत हुई थी । आपश्री की अवस्था जिस समय पन्द्रह वर्ष की हुई उस समय श्रीमहाप्रभुजी अपने धाम को पधारे थे किन्तु इतने से ही समय में श्रीविठ्ठलनाथजी प्रौढ विद्वान् हो चुके थे । फिर भी आप अपने अध्ययन में अभिवृद्धि ही करते रहे । और अपने उस अध्ययन के फल को आपने ऐसे कार्य म नियोजित किया जिस से सम्प्रदाय आज भी अपनी अभिवृद्धि किये जाता है ।
यद्यपि श्रीवल्लभाचार्य महाप्रभुने कई बार पृथ्वीप्रदक्षिणा कर वादियों को परास्त कर ब्रह्मवाद का मंडन किया था । तथापि संप्रदाय का वह प्रारंभ काल था और उसके अनुयायी बहुत स्वल्प थे । किन्तु श्रीविठ्ठलनाथजी प्रभुचरण ने संप्रदाय को अपने ही समय में बहुत व्यापक बना दिया था । आप के समय में संप्रदाय खूब व्यापक हुआ इसका एक कारण यह भी था कि आपने क्रियात्मक सेवापद्धति का प्रचालन संप्रदाय में किया था। इस के अति