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"जगत"
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हमारे सम्प्रदाय में जगत् को सत्य माना है । और वास्तव में विचारवान् लोग देखेंगे कि हमारा यह सिद्धान्त कितना सच्चा है।
जगत् के सत्यत्व को बतलाते हुए भगवान् श्रीकृष्णचन्द्र गीता में आज्ञा करते है"नासतो विद्यते भावो नाभावो विद्यते सतः।" ___ अर्थात् जो पदार्थ मिथ्या है उसका तो भाव ही नहीं होता और जो सत् है उसका भाव हमेशः बना रहता है।
यह जगत् ब्रह्म से उत्पन्न हुआ है इस लिये जिसप्रकार ब्रह्म सत्य है उसी प्रकार जगत् भी सत्य है।
छान्दोग्योपनिषद् में लिखा है कि-'सर्व खल्विदं ब्रह्म तजलानिति अर्थात् यह सब दृश्यमान जगत् ब्रह्मरूप है। क्यों कि यह जगत् ब्रह्म में से ही उत्पन्न होता है । ब्रह्म में ही इसकी स्थिति है और एक दिन ब्रह्म में ही