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________________ और उनके सिद्धान्त। १४९ विष्ट हो जाता है। श्रीकृष्णरुपी परम और गहन तत्व को ब्रह्मादिक देवता भी नहीं जान सके तब हम लोग तो बहुत ही साधारण हैं हम भगवान् श्रीकृष्ण के स्वरूप को न समझें तो इसमें आश्चर्य की क्या बात है? __ब्रह्मा, विष्णु और महेश भगवान् के अंश हैं । इनको श्रीकृष्ण की तीन मुख्य गुणावतार महाशक्ति कही गयी हैं । वे ईश्वर के नाम से शास्त्रो में स्मरण किये गये हैं । ब्रह्मा भगवान् की सृष्टि करने वाली, विष्णु जगत् का पालन करने वाली और रुद्र संहार करने वाली शक्तियां हैं। ये तीनों परमेश्वर भगवान् श्रीकृष्ण की आज्ञानुसार अपना कर्तव्य पालन करते हैं । ये तीनों देव तीन गुणों के अधिष्ठाता हैं । ब्रह्मा राजस् के, विष्णु सात्त्विक के, एवं रुद्र तामस के अधिष्ठाता हैं। इन तीनों देवताओं पर उपर्युक्त तीनों गुणों की असर थोडी बहुत रहा ही करती है । इस लिये ये सगुण ईश्वर हैं । भगवान् पर इन गुणों की असर कुछ भी नहीं रहती अतः भगवान् सर्वोत्कृष्ट हैं और इसी से ये निर्गुण हैं। 'न प्रतीकेन सह ' इत्यादि वाक्यों से यह समझा जाता है कि अन्य सम्प्रदायवाले मूर्तिको भगवरस्वरूप से अलग मानते हैं। किन्तु हमारे सम्प्रदाय में यह बात नहीं है। भगवान् स्वरूप में ही नित्य विराजते हैं । प्रभु भी भक्त
SR No.010555
Book TitleVallabhacharya aur Unke Siddhanta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVajranath Sharma
PublisherVajranath Sharma
Publication Year
Total Pages405
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationInterfaith & Hinduism
File Size10 MB
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