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१०४ श्रीमद्वल्लभाचार्य एककी की । किन्तु दृढ विश्वास न होने पर कोई भी देवता रक्षा नहीं कर सके और समुद्रदेव ने उन्हें अपने अनन्त गर्भ में आश्रय दे दिया । ___ उपर्युक्त उदाहरण से अनन्याश्रय का महत्व समझ में आजाता है । श्रीमद् भगवद्गीता में भगवान् ने स्वयं आज्ञा की है
अनन्याश्चिन्तयन्तो मां ये जनाः पर्युपासते । तेषां नित्याभियुक्तानां योगक्षेमं वहाम्यहम् ॥ अर्थात्-जो मनुष्य अनन्य होकर, केवल एक मुझमें ही अत्यन्त दृढ विश्वास रख कर, मेरी भक्ति करते हैं, ऐसे दृढाग्रही मनुष्यों की रक्षा स्वयं में करता हूं।