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________________ REAAAAAAAA.A.A.A, ला श्री भागवत ।। PTEMATIPATIRATESTHA पुराणों का शिरोमणि, वेदों के अगम्य अर्थों का सहज बोधक, बडा मनोहर और परम तत्व श्रीमद्भागवत हमारे सम्प्रदाय में अयुच्च स्थान प्राप्त कर रहा है । प्रत्येक वैष्णव को इस पर अडग श्रद्धा होनी चाहिये। सच कहा जाय तो हमारे सम्प्रदाय का बहुत कुछ आधार श्रीमद्भागवत ही है। अतएव उसके स्वरुप को जान लेना अत्यन्त आवश्यक है। संस्कृत में एक श्लोक है जिसका अर्थ होता है कि हजारों शास्त्र पढ लिये और सैंकडो ही शास्त्रों का संग्रह कर लिया हो किन्तु यदि श्रीमद्भागवत न पढी हो तो सव व्यर्थ हो जाता है। श्रीमद्भागवत,भगवान् श्रीकृष्णचन्द्र के ज्ञानकलावतार भगवान् वेदव्यासजीकी भगवदाज्ञप्तरचना है । भगवान् श्रीकृष्ण के इस लोक से अन्तर्हित हो जाने पर श्रीमद्भागवत ही यहां उनके स्वरूप से विराजते हैं । वेदों के सम्पादन कर लेने पर, इतिहास और कुछ थोडे पुराणों की मी रचना कर लेने पर जव व्यासजी को सन्तोष नहीं हुआ, इतने श्रेयः
SR No.010555
Book TitleVallabhacharya aur Unke Siddhanta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVajranath Sharma
PublisherVajranath Sharma
Publication Year
Total Pages405
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationInterfaith & Hinduism
File Size10 MB
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